दिल्ली. आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है. देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना और जंक फूड पर बढ़ती निर्भरता धीरे-धीरे कई बीमारियों की वजह बन रही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अच्छी सेहत में 70–80 फीसदी भूमिका खानपान की होती है, जबकि बाकी हिस्सा लाइफस्टाइल का होता है. इसी सोच के साथ मोटे अनाज यानी मिलेट्स को एक बार फिर लोगों की थाली तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिलेट्स को वैश्विक पहचान दिलाने के आह्वान के बाद कई प्रयास शुरू हुए. इसी कड़ी में VPCL (Vapcat Producers Limited) नाम की किसान उत्पादक कंपनी ने मिलेट्स को नए और स्वादिष्ट रूप में पेश किया है. आइए जाने कैसे इस कंपनी ने मिलेट्स को नई पहचान दिलाई.
50 से ज़्यादा हेल्दी प्रोडक्ट्स
आज VPCL के पास बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए 50 से अधिक मिलेट्स आधारित उत्पाद हैं. इनमें बिस्किट, नमकीन, केक, मफिन, मिलेट्स फ्राई, गुजिया और भारतीय पारंपरिक मिठाइयां शामिल हैं. खास बात यह है कि इन मिठाइयों में दूध और मिलेट्स का फ्यूज़न किया गया है, जिससे स्वाद के साथ पोषण भी बना रहे.
किसानों को मिल रहा फायदा
VPCL एक किसान उत्पादक कंपनी है, जिसे 2013 में सरकारी मान्यता मिली थी. कंपनी का फोकस सिर्फ़ सेहत नहीं बल्कि किसानों को बेहतर दाम दिलाना भी है. दूध और मिलेट्स जैसे किसान उत्पादों में वैल्यू एडिशन कर उन्हें बाज़ार तक पहुंचाया जा रहा है.
ज्वार से बने हेल्दी और स्वादिष्ट प्रोडक्ट्स की लंबी रेंज
ज्वार यानी मिलेट्स से तैयार किए गए उत्पाद अब सिर्फ रोटी तक सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि इन्हें रोज़मर्रा के भोजन, नाश्ते, स्नैक्स और मिठाइयों तक विस्तार दिया गया है. इन उत्पादों में ज्वार रोटी, ज्वार खिचड़ी और ज्वार हलवा जैसे पारंपरिक व्यंजन शामिल हैं, वहीं नाश्ते और स्नैक्स के तौर पर ज्वार डोसा, ज्वार इडली, ज्वार उपमा, ज्वार बर्गर, ज्वार फ्रेंच फ्राइज और ज्वार नमकपारा भी लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. इसके अलावा मिठाइयों और बेकरी सेगमेंट में ज्वार गुलाब जामुन, ज्वार लड्डू, ज्वार कुल्फी, ज्वार केक और ज्वार बिस्किट जैसे विकल्प उपलब्ध हैं.
स्वाद बना सबसे बड़ी चुनौती
कंपनी के ओनर विकास सिंह के मुताबिक मिलेट्स को लेकर सबसे बड़ी चुनौती स्वाद थी. लोगों को जानकारी तो थी कि मिलेट्स सेहतमंद हैं, लेकिन स्वाद पसंद न आने की वजह से वे इन्हें अपनाते नहीं थे. इसी पर सबसे ज़्यादा काम किया गया. आज लोग चखने के बाद दोबारा इन्हें खरीद रहे हैं, जो इस पहल की सबसे बड़ी सफलता है.





