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2.80 एकड़ में धान और बाड़ी में सब्जी की खेती कर बने आत्मनिर्भर

रायपुर राज्य सरकार की मनरेगा योजना ने एक बार फिर ग्रामीण जीवन को नई दिशा दी है। जीपीएम जिले के मरवाही जनपद के ग्राम पंचायत रटगा निवासी महाबीर के परिवार की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। पहले मजदूरी पर निर्भर यह परिवार अब अपनी 2.80 एकड़ जमीन पर धान और सब्जी-भाजी की खेती कर आत्मनिर्भर बन गया है। 2 लाख 99 हजार रुपये की स्वीकृति से बने कुएं ने न केवल सिंचाई की समस्या हल की, बल्कि आसपास के परिवारों को भी पीने के पानी की सुविधा प्रदान की है।

महाबीर ने बताया कि ग्राम सभा में मनरेगा योजना की जानकारी मिलने पर उन्होंने अपनी जमीन में कुएं के निर्माण के लिए आवेदन किया। वर्ष 2025-26 में उन्हें 2 लाख 99 हजार रुपये की मंजूरी मिली। कुआं बनने के बाद वे 2.80 एकड़ क्षेत्र में धान की फसल उगा रहे हैं, जबकि बाड़ी में सब्जी-भाजी की खेती से नियमित आय हो रही है। राज्य सरकार की इस योजना ने उनकी कृषि संबंधी सभी समस्याओं को दूर कर दिया है।

पहले सिंचाई की कमी से महाबीर कृषि कार्य नहीं कर पाते थे और मनरेगा मजदूरी से ही घर चलाते थे। अब उसी योजना ने उनकी स्थिति उलट दी है। कुएं से न केवल उनका परिवार लाभान्वित हो रहा है, बल्कि आसपास के लोग भी पीने के पानी के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। महाबीर का कहना है कि मनरेगा ने हमें आत्मनिर्भर बनाया, अब मजदूरी की मजबूरी नहीं रही।

छत्तीसगढ़ सरकार की मनरेगा जैसी योजनाएं ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं से जोड़ रही हैं, जिससे आजीविका के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। महाबीर की कहानी राज्य भर में हो रहे विकासगाथा की जीवंत मिसाल है। यह पहल न केवल गरीबी उन्मूलन में सहायक है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। राज्य सरकार की ऐसी योजनाओं से छत्तीसगढ़ के लाखों परिवार आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हैं।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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