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सक्सेस स्टोरी: सरकारी नौकरी का नहीं था योग, 1-2 नंबरों से रूठ जाती थी किस्मत, पर मेहनत से संदीप ने बदल दी अपनी कुंडली

सहारनपुर: ‘मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’…इसी कहावत को चरितार्थ किया है सहारनपुर में तैनात पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. संदीप कुमार मिश्रा ने. उनके जीवन में शुरुआत में केवल असफलताएं थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते हुए सफलता हासिल की.

संदीप कुमार मिश्रा  सीतापुर के रहने वाले हैं. उनके पिता राजेंद्र प्रसाद मिश्रा का सपना था कि उनका सबसे छोटा बेटा डॉक्टर बने. संदीप ने पिता के सपने को पूरा करने के लिए बचपन से तैयारी शुरू कर दी. प्रारंभिक शिक्षा सीतापुर के केंद्रीय विद्यालय से पूरी करने के बाद उन्होंने पीएमटी परीक्षा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश में उनकी 6वीं रैंक आई. इसके बाद उन्हें मथुरा का वेटरनरी कॉलेज मिला. लेकिन जीवन में संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ.वेटरनरी कॉलेज और आगे की परीक्षाओं में वह कई बार कट-ऑफ से मात्र एक-दो नंबर से चूक गए. एमबीबीएस में प्रवेश भी उनसे मात्र एक-दो नंबर से छूट गया. एनडीआरआई, करनाल में पीजी की पढ़ाई के दौरान भी असफलता ने पीछा नहीं छोड़ा. हालांकि, संदीप ने हार नहीं मानी और  दिल्ली जाकर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की. लेकिन, उनका असफलता ने वहां भी पीछा नहीं छोड़ा.

दोस्तों ने दी ज्योतिषी से मिलने की सलाह

पहली बार 2018 में पीसीएस परीक्षा में एक नंबर से चयन छूट गया. संदीप बताते हैं कि लगातार मिल रही असफलताओं के कारण उनके दोस्तों ने उन्हें किसी एस्ट्रोलॉजर (ज्योतिषी) से मिलने की सलाह दी. ज्योतिषी ने उनकी कुंडली देखकर बताया कि उनकी कुंडली में सरकारी नौकरी का कोई योग ही नहीं है. इसके बाद संदीप मिश्रा का हौसला और भी काम हो गया.

साल 2019 में दी PCS की परीक्षा

लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से साल 2019 में पीसीएस परीक्षा की परीक्षा दी. इस दौरान उनका चयन वेटरनरी एंड वेलफेयर ऑफिसर के पद पर हो गया और उनकी छठवीं रैंक आई. संदीप बताते हैं कि असफलताओं ने उन्हें कमजोर नहीं किया, बल्कि उन्हें और अधिक दृढ़ और मेहनती बना दिया. उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि असफलता के पीछे सफलता छिपी होती है.

छात्रों को दिया यह संदेश

पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. संदीप कुमार मिश्रा ने  छात्रों को संदेश दिया कि अगर आप लगातार प्रयास करते रहें, तो असफलता भी आपके लिए अगली सफलता की नींव बन सकती है. उनका मानना है कि प्रयास करना हर व्यक्ति के हाथ में है, और परिणाम ईश्वर के हाथ में. इतना ही नहीं, उन्होंने अपना अनुभव भी साझा किया.

उन्होंने बताया कि यहां तक पहुंचाने के लिए मैंने लंबा संघर्ष किया है. चाहे वह स्कूली दिनों का हो या फिर कॉलेज के दिनों का या फिर उसके बाद नौकरी की तैयारी के समय का. काफी लंबे संघर्ष के बाद आज मैं इस मुकाम तक पहुंचा हूं. हम पांच भाई बहन हैं और मैं उनमें सबसे छोटा हूं जबकि मेरे पिताजी का मेडिसिन का थोक का व्यापार है.

गीता का किया जिक्र
संदीप कुमार ने बातचीत में गीता का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि आदमी को अपना पूरा प्रयास करना चाहिए. मैंने भी अपना पूरा प्रयास किया तो देखिए आज मैं आज सरकारी अधिकारी हूं. तो सभी को यही कहना चाहूंगा कि प्रयास अवश्य करना चाहिए, क्योंकि मनुष्य के हाथों में केवल प्रयास करना होता है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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