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कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानें डेट, मुहूर्त, स्नान-दान और पूजा का सही

मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह स्नान, व्रत और दान का बड़ा महत्व बताया गया है, जबकि रात में माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। हर साल यह तिथि मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर आती है। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर रवि योग का संयोग बन रहा है।हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह स्नान, व्रत और दान का बड़ा महत्व बताया गया है, जबकि रात में माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। हर साल यह तिथि मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर आती है। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर रवि योग का संयोग बन रहा है, हालांकि भद्रा भी उसी दिन रहेगी

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की डेट- दृक पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर 2025 गुरुवार सुबह 8:37 बजे शुरू होगी और 5 दिसंबर शुक्रवार सुबह 4:43 बजे तक रहेगी। इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर को है।

रवि योग बनेगा- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन रवि योग भी बन रहा है। रवि योग का समय सुबह 6:59 बजे से दोपहर 2:54 बजे तक है। इस योग में स्नान-दान करने से पाप कटते हैं और पुण्य बढ़ता है।

स्नान, दान और शुभ मुहूर्त

स्नान-दान का समय: सुबह 8:38 बजे से दिनभर स्नान और दान का समय रहेगा।

स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, कंबल या अपनी क्षमता अनुसार दान करें।

ब्रह्म मुहूर्त: 5:10 ए एम से 6:04 ए एम

अभिजीत मुहूर्त: 11:50 ए एम से 12:32 पी एम

निशीथ पूजा काल: 11:45 पी एम से 12:39 ए एम

चंद्रोदय का समय

पूर्णिमा की रात चांद 4:35 पी एम पर निकलेगा।

लक्ष्मी पूजा का समय

पूर्णिमा को प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सूर्यास्त से कुछ देर पहले से प्रदोष काल शुरू हो जाएगा। इसी समय लक्ष्मी जी की पूजा करना सबसे शुभ माना गया है।

भद्रा का समय- इस दिन भद्रा भी रहेगी। भद्रा सुबह 8:37 बजे से शाम 6:40 तक है। हालांकि भद्रा स्वर्ग लोक में होगी, इसलिए इसका कोई अशुभ प्रभाव नहीं माना गया है।

राहुकाल- 1:29 पी एम से 2:48 पी एम तक।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

इस दिन स्नान, दान और लक्ष्मी पूजा करने से धन, सुख और मानसिक शांति मिलती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र दोष शांत होता है और मन मजबूत होता है। घर में सत्यनारायण भगवान की कथा करवाना भी बेहद शुभ फल देता है।

पूजा विधि: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, कंबल या अपनी क्षमता अनुसार दान करें, क्योंकि इस दिन दान को सबसे शुभ माना जाता है। घर के पूजा स्थान को साफ़ करके चौकी पर माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रमा का प्रतीक रखें। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में घी का दीपक जलाकर लक्ष्मी जी को फूल, मिठाई, अक्षत और कमलगट्टा चढ़ाएं और “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करें। चंद्रोदय के समय तांबे के लोटे में दूध, पानी और मिश्री मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें और “ॐ सोमाय नमः” मंत्र बोलें। रात में सत्यनारायण भगवान की कथा सुनना और दीपक जलाकर शांति से मनोकामना करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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