दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग का दूसरा और तीसरा ट्रायल मंगलवार को हुआ। पहला टेस्ट 23 अक्टूबर को हुआ था। दिवाली के बाद से लगातार एयर क्वालिटी में तेजी से गिरावट आई है। राजधानी की हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है।
हंसते हुए कहा, ” 4:30 बज चुके हैं, बारिश नहीं है। उन्होंने कहा, ‘बारिश में भी फर्जीवाड़ा, कृत्रिम वर्षा का कोई नामोनिशान नहीं दिख रहा है। इन्होंने सोचा होगा देवता इंद्र करेंगे वर्षा, सरकार दिखाएगी खर्चा।’
दिल्ली सरकार की रिपोर्ट में दावा- ट्रायल सफल रहा
इधर, दिल्ली सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम में नमी कम (10-15%) थी, जो क्लाउड सीडिंग के लिए आदर्श नहीं मानी जाती, फिर भी ट्रायल सफल रहा। इससे हवा में मौजूद डस्ट पार्टिकल (PM2.5 और PM10) की मात्रा में कमी दर्ज की गई है। ट्रायल के दौरान नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हल्की बारिश हुई।
वहीं, ट्रायल से पहले PM2.5 का स्तर मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में क्रमशः 221, 230 और 229 था, जो ट्रायल के बाद घटकर 207, 206 और 203 रह गया। इसी तरह PM10 का स्तर 209 से घटकर लगभग 170 के आसपास पहुंच गया।
बादलों में नमी मौजूद नमी बहुत कम थी
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर मनींद्र अग्रवाल ने बताया कि “दिल्ली में बादल तो पर्याप्त थे, लेकिन उनमें मौजूद नमी बहुत कम थी। जब नमी 15 से 20 फीसदी के बीच होती है, तो बारिश की संभावना बेहद कम रहती है।”
उन्होंने कहा- मंगलवार को दो बार विमान से फ्लेयर छोड़े गए, लेकिन बारिश नहीं हुई। हमारी टीम ने इससे काफी कुछ सीखा है। अब हम बुधवार को भी ट्रायल करने की तैयारी कर रहे हैं।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने बताया- आधा घंटा चली क्लाउड सीडिंग
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री हरमीत सिंह सिरसा ने बताया कि यह दूसरा ट्रायल था।। इस दौरान 8 फ्लेयर्स छोड़े गए, जिनका वजन 2 से 2.5 किलो था। प्रक्रिया करीब आधा घंटा चली और बादलों में लगभग 15-20% नमी मौजूद थी। विमान अब मेरठ में लैंड कर चुका है।
सिरसा ने कहा कि आज तीसरा ट्रायल भी किया जाएगा। मौसम की स्थिति ठीक रही तो विमान हर दिन 9 से 10 बार उड़ानें भरेगा। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया के बाद 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश हो सकती है।
जानिए कैसे होती है कृत्रिम बारिश
ट्रायल डेटा से बड़े प्लान की तैयारी दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि सर्दियों से पहले वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके, जब प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है। यह कोशिश एन्वायर्नमेंट एक्शन प्लान 2025 का हिस्सा है। ट्रायल से जो डेटा मिलेगा, वह भविष्य में क्लाउड सीडिंग को बड़े पैमाने पर लागू करने में मदद करेगा।
भारत में इससे पहले भी कई बार ऐसे क्लाउड सीडिंग हो चुकी हैं। भारत में 1983, 1987 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा तमिलनाडु सरकार ने 1993-94 में ऐसा किया गया था। इसे सूखे की समस्या को खत्म करने के लिए किया गया था। साल 2003 में कर्नाटक सरकार ने भी क्लाउड सीडिंग करवाई थी। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी ऐसा किया जा चुका है।
सोलापुर में क्लाउड सीडिंग से 18% ज्यादा बारिश वैज्ञानिकों की एक स्टडी में पाया गया कि महाराष्ट्र के सोलापुर में क्लाउड सीडिंग से सामान्य स्थिति की तुलना में 18% ज्यादा बारिश हुई। यह प्रक्रिया सिल्वर आयोडाइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे कणों को बादलों में फैलाकर बारिश को बढ़ाते हैं। 2017 से 2019 के बीच 276 बादलों पर यह प्रयोग किया गया, जिसे वैज्ञानिकों ने रडार, विमान और स्वचालित वर्षामापी जैसे आधुनिक उपकरणों से मापा।
जानें GRAP के स्टेज
- स्टेज I ‘खराब’ (AQI 201-300)
- स्टेज II ‘बहुत खराब’ (AQI 301-400)
- स्टेज III’गंभीर’ (AQI 401-450)
- स्टेज IV ‘गंभीर प्लस’ (AQI >450)
GRAP-I लागू, N95 या डबल सर्जिकल मास्क पहनने की सलाह
GRAP-I तब सक्रिय होता है जब AQI 200 से 300 के बीच होता है। इसके तहत, एनसीआर में सभी संबंधित एजेंसियों को 27 निवारक उपायों को सख्ती से लागू किया जाना है।
इनमें एंटी-स्मॉग गन का उपयोग, पानी का छिड़काव, सड़क निर्माण, मरम्मत परियोजनाओं और रखरखाव गतिविधियों में धूल नियंत्रण करना शामिल हैं।
गाजियाबाद के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शरद जोशी ने बचाव के लिए सभी को बाहरी गतिविधियों के दौरान N95 या डबल सर्जिकल मास्क पहनने की सलाह दी है।
पराली जलाना भी प्रदूषण की एक वजह, इसे रोकने के लिए कानून भी बना
उत्तर और मध्य भारत में दिवाली के बाद पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस वजह से प्रदूषण बढ़ने की रफ्तार भी तेज होने लगती है। दिल्ली के सबसे नजदीक हरियाणा और पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलाई जाती है।
2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। इससे किसानों को पराली का सफाया करने में परेशानी होने लगी।
केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) अधिनियम 2021 के तहत पराली जलाने पर नियम लागू किए। इसके मुताबिक 2 एकड़ से कम जमीन पर पराली जलाने पर 5,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
2 से 5 एकड़ जमीन पर 10,000 रुपए और 5 एकड़ से ज्यादा जमीन पर पराली जलाने पर 30,000 रुपए का जुर्माना लगता है।





