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एक्शन मोड में चुनाव आयोग: शुरू की उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी, कहा- जल्द घोषित होगा कार्यक्रम

नई दिल्ली (एजेंसी)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग एक्शन मोड में आ गया है। आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। आयोग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव से संबंधित तैयारियां शुरू कर दी हैं। तैयारी संबंधी गतिविधियां पूरी होने के बाद जल्द ही उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया था।

चुनाव आयोग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने 22 जुलाई 2025 को एक अधिसूचना के जरिये भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की सूचना दी है। इसमें कहा गया कि चुनाव आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत भारत के उपराष्ट्रपति पद के चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है। यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 और इसके तहत बने नियमों (राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम 1974) द्वारा कराया जाता है।

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आयोग ने कहा कि हमने उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 से संबंधित तैयारियां शुरू कर दी हैं। तैयारियां पूरी होने के बाद उपराष्ट्रपति पद के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। आयोग ने कहा कि निर्वाचक मंडल की तैयारी, जिसमें राज्यसभा एवं लोकसभा के निर्वाचित तथा मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं शुरू कर दी गई है। इसके अलावा रिटर्निंग ऑफिसर / सहायक रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आयोग ने कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति चुनावों से संबंधित जानकारियों और रिकॉर्ड को देखा जा रहा है।

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कैसे होगा अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव
उपराष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सांसद, राज्यसभा में मनोनीत 12 सांसद और लोकसभा के 543 सांसद वोट डाल सकते हैं। इस तरह के कुल 788 लोग वोट डाल सकते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग जब उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान करेगा, तब वह लोकसभा और राज्यसभा में सभी मौजूदा सदस्यों की गिनती करेगा। संविधान के अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया का जिक्र है। यह चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से किया जाता है, जो कि लोकसभा या विधानसभा चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया से बिल्कुल अलग है। उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से होती है।

उपराष्ट्रपति की उम्मीदवारी कब स्वीकार होती है?
चुनाव में खड़े होने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 20 संसद सदस्यों को प्रस्तावक और कम से कम 20 संसद सदस्यों को समर्थक के रूप में नामित कराना होता है। उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी बनने के लिए 15 हजार रुपए की जमानत राशि जमा करनी होती है। नामांकन के बाद फिर निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं।

राष्ट्रपति चुनाव से कितना अलग है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं। इनमें राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसद और सभी राज्यों के विधायक मतदान करते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसे सदस्य भी वोट कर सकते हैं।

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर
जगदीप धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी। 1989 में झुंझुनू से सांसद बने। पहली बार सांसद चुने जाने पर ही उन्हें बड़ा इनाम मिला। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। हालांकि, जब 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने। 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई 2019 को जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था। जिसके बाद से वे उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने तक उस पद पर बने रहे।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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