छत्तीसगढ़

प्रगतिशील मत्स्य किसानों के अनुभव, योजनाओं की दी गई जानकारी और संसाधनों का किया गया वितरण

राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस पर मात्स्यिकी महाविद्यालय, कवर्धा में कार्यक्रम आयोजित

प्रगतिशील मत्स्य किसानों के अनुभव, योजनाओं की दी गई जानकारी और संसाधनों का किया गया वितरण

कवर्धा, जुलाई 2025। स्व. श्री पुनाराम निषाद मात्स्यिकी महाविद्यालय, कवर्धा में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस बड़े उत्साह और गरिमामय वातावरण में मनाया गया। यह दिन मत्स्य पालन के क्षेत्र में कार्यरत कृषकों को सम्मानित करने, उनके योगदान को रेखांकित करने और मत्स्य व्यवसाय को सशक्त बनाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राज्य और जिले के प्रमुख अधिकारियों, मत्स्य पालन क्षेत्र के विशेषज्ञों, प्रगतिशील किसानों और छात्रों की सक्रिय भागीदारी रही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री भरत मटियारा, अध्यक्ष, मछुवा कल्याण बोर्ड (छ.ग. शासन) थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में मत्स्य कृषकों को वैज्ञानिक तकनीकों से अवगत कराया और मत्स्य पालन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बनाने की दिशा में शासन की योजनाओं और प्रतिबद्धताओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मछली पालन न केवल पोषण का स्रोत है, बल्कि यह ग्रामीण युवाओं के लिए आजीविका और आत्मनिर्भरता का एक मजबूत माध्यम भी बन चुका है। सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. जी. के. दत्ता (निदेशक, अनुसंधान सेवाएं, दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग), श्री राधेश्याम चंद्रवंशी (प्रदेशाध्यक्ष, सहकार भारती, छत्तीसगढ़) और श्री रामधन सिंह (सहायक संचालक, मत्स्य पालन विभाग, कबीरधाम) ने कार्यक्रम में भाग लिया। सभी अतिथियों ने अपने वक्तव्यों के माध्यम से मत्स्य उद्योग के तकनीकी पक्षों, प्रशिक्षण की आवश्यकता, योजनाओं की जानकारी और सहकारिता की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. एम. के. गेंदले, अधिष्ठाता, मात्स्यिकी महाविद्यालय ने की। उन्होंने राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस की सभी को शुभकामनाएं देते हुए मत्स्य कृषकों के सतत प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. एन. सारंग (सह-प्राध्यापक, महाविद्यालय) और सह-समन्वयक नरेश मल्लाह (प्रांत संयोजक, सहकार भारती मछुवा प्रकोष्ठ छ.ग.) ने कार्यक्रम को संचालिन किया। डॉ. सारंग ने मछली पालन से जुड़ी तकनीकी विधियों और आज के परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता पर व्याख्यान दिया।
इस अवसर पर जिले के प्रगतिशील मत्स्य कृषक श्री रुप चंद धीवर ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने तकनीकी सहायता और शासन की योजनाओं का लाभ लेकर मत्स्य पालन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता हासिल की। उनका अनुभव अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। मछली पालन विभाग, कबीरधाम द्वारा इस अवसर पर मत्स्य कृषकों को जाल, आईस बॉक्स तथा अन्य आवश्यक सामग्री वितरित की गई, जिससे मछली की ताजगी बनाए रखने और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि श्री भरत मटियारा द्वारा महाविद्यालय के पुस्तकालय में “नॉलेज हब“ का लोकार्पण किया गया। यह हब एक शांत और अध्ययनोन्मुख वातावरण प्रदान करता है, जिससे विद्यार्थियों की अध्ययन क्षमता में वृद्धि होगी। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं, ग्रामीण मत्स्य पालक, जनप्रतिनिधि एवं आम नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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