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रायपुर के डीडी नगर क्षेत्र में एक लाल रंग के सूटकेस में मिले शव ने पूरे शहर को झकझोर दिया था। अब इस जघन्य हत्याकांड से पर्दा उठ चुका है। हत्या का मास्टरमाइंड कोई पेशेवर अपराधी नहीं बल्कि एक वकील और उसकी पत्नी निकले। इस हत्या की स्क्रिप्ट पहले से रची गई थी—और इसकी वजह महज 30 लाख रुपये का लेनदेन था।

रायपुर के डीडी नगर क्षेत्र में एक लाल रंग के सूटकेस में मिले शव ने पूरे शहर को झकझोर दिया था। अब इस जघन्य हत्याकांड से पर्दा उठ चुका है। हत्या का मास्टरमाइंड कोई पेशेवर अपराधी नहीं बल्कि एक वकील और उसकी पत्नी निकले। इस हत्या की स्क्रिप्ट पहले से रची गई थी—और इसकी वजह महज 30 लाख रुपये का लेनदेन था।

🧩 हत्या की वजह:
मृतक किशोर पैकरा ने अपना मकान बेचकर 30 लाख की रकम वकील अंकित उपाध्याय को सौंप दी थी।

अंकित ने वह रकम अपने निजी हितों में खर्च कर दी।

किशोर लगातार पैसे की मांग कर रहा था और दबाव बना रहा था।

इस दबाव से परेशान होकर अंकित ने पत्नी शिवानी शर्मा के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची।

🧱 हत्या का तरीका:
22 जून को किराए के फ्लैट (इंद्रप्रस्थ कॉलोनी) में किशोर की गला रेतकर हत्या कर दी गई।

शव को फ्लैट में ही 48 घंटे तक रखा गया।

शव को सीमेंट डालकर ट्रॉली बैग में बंद किया गया और टिन की पेटी में भरकर सुनसान जगह फेंक दिया गया।

पुलिस जांच ऐसे पहुँची आरोपियों तक:
CCTV फुटेज और मुखबिर की सूचना से पुलिस को अल्टो कार का सुराग मिला।

ट्रंक की दुकान से खरीदी गई पेटी का लिंक हब्बू भाई की दुकान से मिला।

ऑनलाइन पेमेंट का ट्रेस शिवानी शर्मा के बैंक खाते तक पहुंचा।

एक ऑटो चालक ने शव को फ्लैट तक पहुंचाने की जानकारी दी।

🛫 दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई गिरफ्तारी:
हत्या के बाद आरोपी दंपती दिल्ली भागने की फिराक में थे।

पुलिस ने फ्लाइट लैंडिंग के समय दिल्ली एयरपोर्ट पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

👮 गिरफ्तार आरोपी:
अंकित उपाध्याय (31 वर्ष) – वकील और मास्टरमाइंड

शिवानी शर्मा – आरोपी की पत्नी, हत्या में साथ

विनय यदु – शव को ठिकाने लगाने में मदद

सूर्यकांत यदु – सहयोगी

📌 पुलिस द्वारा जब्त सामग्री:
अल्टो कार

2 दोपहिया वाहन

5 मोबाइल फोन

हत्या में उपयोग की गई पेटी और ट्रॉली बैग

🎤 एसएसपी लाल उमेद सिंह का बयान:
“पैसे के लेन-देन को लेकर की गई हत्या में अत्यंत क्रूरता दिखाई गई। आरोपी कानून से नहीं बच सकते। डिजिटल, फॉरेंसिक और ग्राउंड लेवल इंटेलिजेंस की मदद से केस को 48 घंटे में सुलझाया गया।”

 

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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