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अदाणी का नया युग: ऊर्जा से उम्मीद तक, कारोबार से बदलाव तक

2025 की वार्षिक एजीएम में गौतम अदाणी ने जिस तरह तथ्यों से लेकर भावनाओं तक की परतें खोलीं, वह एक बिज़नेस लीडर की नहीं, एक राष्ट्र निर्माता की आवाज़ थी। उन्होंने बताया कि अडाणी पावर ने इस साल 100 अरब यूनिट बिजली उत्पन्न कर निजी क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। ऊर्जा उत्पादन की यह शक्ति अब केवल आँकड़ों में नहीं, बल्कि भारत की नई औद्योगिक रफ्तार में दिख रही है।

खवड़ा की सूनी धरती पर खड़ा हो रहा है दुनिया का सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा पार्क — इतना विशाल कि अंतरिक्ष से भी दिखाई दे। यह दृश्य सिर्फ तकनीकी चमत्कार नहीं, भारत के हरित भविष्य की झलक है। जहां एक ओर दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, वहीं भारत रिन्यूएबल की अगुवाई कर रहा है। “सच्चा नेतृत्व धूप में नहीं, संकट की आग में गढ़ा जाता है।” गौतम अदाणी के ये शब्द आज सिर्फ एक उद्धरण नहीं, बल्कि उस सोच की नींव हैं जो देश की सूरत बदल रही है। जब दुनिया मंदी, ऊर्जा संकट और अनिश्चितताओं से जूझ रही थी, तब भारत ने आत्मविश्वास की मशाल थामी — और इस मशाल के वाहक बने अदाणी। लेकिन, विकास सिर्फ कारोबार तक सीमित नहीं। अदाणी समूह ने ₹60,000 करोड़ सामाजिक उद्देश्यों के लिए समर्पित किए हैं। इसी संकल्प का परिणाम हैं वे ‘हेल्थकेयर टेम्पल्स’ जो अहमदाबाद और मुंबई में आकार ले रहे हैं — अस्पताल नहीं, सेवा और संवेदना के मंदिर। बंदरगाहों से लेकर आसमान तक, देश की गति को नई दिशा मिली है। अदाणी पोर्ट्स ने 450 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो का संचालन किया और एयरपोर्ट्स ने 94 मिलियन यात्रियों को सेवा दी। नवी मुंबई एयरपोर्ट इस वर्ष खुलने को तैयार है — भारत का नया गेटवे, जो विश्वस्तरीय उड़ानों का केंद्र बनेगा।

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सबसे बड़ा सामाजिक परिवर्तन संभवतः धरावी में हो रहा है। एक करोड़ से अधिक लोग झुग्गियों से निकलकर गरिमामयी आवास की ओर बढ़ रहे हैं। यह सिर्फ पुनर्विकास नहीं, एक पीढ़ी का पुनर्जन्म है।
ऊर्जा के मोर्चे पर अडाणी टोटल गैस ने 1 मिलियन पीएनजी उपभोक्ता जोड़े और देशभर में 3,400 ईवी चार्जिंग स्टेशन शुरू किए। यह भारत के स्वच्छ और हरित भविष्य की नींव बन रही है।

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भाषण के अंत में गौतम अडाणी ने जो वाक्य कहा, वह एजीएम का सार था — “हम सिर्फ कारोबार नहीं बनाते, हम भारत का भविष्य गढ़ते हैं।” यह कथन सिर्फ प्रेरणा नहीं, एक दिशा है — उस भारत की ओर, जो संकट में भी संकल्प नहीं छोड़ता, और हर चुनौती को अवसर में बदलता है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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