गर्मी के मौसम में अक्सर बच्चों में दस्त की समस्या देखने को मिलती है. ऐसे में अगर नीम की प्रजाति के तुन के पेड़ छाल का पाउडर बनाकर बच्चों को दस्त के समय दिया जाए. तो यह दस्त को दूर करने में काफी उपयोगी माना जाता है. इतना ही नहीं पीरियड के दौरान महिलाओं में अगर अधिक ब्लीडिंग होती है. तो ऐसी सभी महिलाएं इसके फूल को अच्छे से पीसकर पाउडर के तौर पर उपयोग कर सकती हैं. इससे ब्लीडिंग में राहत मिलेगी. साथ ही इसकी पत्तियों को पीसकर लेप लगाया जाए तो यह त्वचा के लिए काफी उपयोगी है.आयुर्वेदिक दृष्टि से जंगलों में पाए जाने वाली सत्यानाशी घास भी काफी उपयोगी मानी जाती है. भले ही इसके आसपास अनेकों प्रकार के कांटे हो लेकिन यह बीमारियों के लिए काल मानी जाती है. इसकी रूट, पत्तियां और फूल का विभिन्न प्रकार की दवाइयां बनाने में भी उपयोग किया जाता है. आयुर्वैदिक एक्सपर्ट चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय बॉटनी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो. विजय मलिक के अनुसार अस्थमा व खांसी के पेशेंट के लिए इसकी रूट का पाउडर काफी उपयोगी माना जाता है. वहीं अगर किसी के भी चेहरे पर सफेद दाग है. तो वह इसके फूलों का पेस्ट बनाकर उस स्थान पर लगा सकते हैं. इसी के साथ अन्य प्रकार की त्वचा संबंधित समस्या में भी यह घास काफी मदद करती हैप्राकृतिक द्वारा प्रदान किए गए प्रत्येक पौधे में कोई ना कोई औषधि गुण होते हैं. जिन्हें विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने में काफी उपयोगी माना जाता है. कुछ इसी तरह का उल्लेख भांग का भी मिलता है. भले ही लोग भांग को नशे के नाम से जानते हो. लेकिन किसी भी व्यक्ति को अगर नींद ना आने की समस्या है. तो उसके पैरों पर उसका लेप लगा दिया जाए तो नींद आने में मदद मिलती है. साथ ही किसी के सिर में दर्द है. तो इसका अर्क निकालकर उसके कान में दो बूंद डाल दिया जाए. तो सर दर्द में काफी राहत मिलती है. इसी तरह मानसिक रोगियों के लिए भी पैरों में भांग का लेप लगाने से काफी मदद मिलती है..बदलता खान-पांच शैली का असर हमारे स्वास्थ्य पर भी देखने को मिल रहा है. काफी ऐसे लोग होते हैं. जिनके लीवर में इंफेक्शन हो जाता है. उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ता है. वहीं आयुर्वेदिक दृष्टि की बात की जाए तो गंध प्रसारिणी नामक आयुर्वेदिक बेल का उपयोग लोग करने लगे तो यह लिवर में सूजन, पेट दर्द, गठिया बाय जोड़ों में दर्द सहित अन्य प्रकार की समस्याओं से राहत दिलाती है. इसका प्रयोग बेहद ही सरल है. आप सब्जी, चटनी बनाकर या फिर काढ़ा बनाकर कर सकते हैं.
बदलते दौर में देखने को मिल रहा है कैल्शियम की कमी होने के कारण छोटी सी दुर्घटना में भी लोगों की हड्डियां जवाब दे जाती है. कई जगह फैक्चर हो जाता है. ऐसे में आयुर्वेदिक दृष्टि की बात की जाए तो खसखस को काफी उपयोगी माना जाता है. अगर खसखस की घास का उपयोग करने लगे. तो यह हड्डियों को भी मजबूत बनाती है .साथ ही बुखार को दूर करने में भी मदद मिलती है. इतना ही नहीं किडनी एवं हृदय रोग के लिए भी इसे काफी उपयोगी माना जाता है. इसका उपयोग काढ़े के तौर पर किया जा सकता है. साथ इसका पाउडर बनाकर भी सकते हैं.