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बोर्ड परीक्षा में मिले 39% अंक, जेईई पास करके IIT खड़गपुर से की पढ़ाई, अब कर रहे ये काम

10वीं पास करने के बाद से अक्सर लोगों का सपना होता है कि आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें. लेकिन इस सपने को पाने के लिए लोगों को जी तोड़ मेहनत करनी होती है. इसके लिए उम्मीदवारों को कक्षा 12वीं पास करने के साथ ही जेईई मेन और एडवांस्ड की परीक्षा को पास करना होता है. तभी आईआईटी में पढ़ने का सपना पूरा होता है. इस सपने को पूरा करना उन लोगों के लिए आसान नहीं होता, जो ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों से पढ़ाई करते हैं. उनके लिए रेत में सुई ढूंढने जैसा होता है. ऐसे ही एक शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो वर्ष 2002 में जेईई की परीक्षा को पास की और उन्होंने 1758 रैंक हासिल की. इनका नाम राजीव दंडोतिया (Rajiv Dandotiya) है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं…

बोर्ड परीक्षा में मिले थे 39% अंक
राजीव दंडोतिया राजस्थान के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पेड़ों के नीचे की. उन्हें बोर्ड की परीक्षा में 39% अंक मिले थे. भले ही इस लेवल पर भी उन्हें 60 की कक्षा में 5वें स्थान पर था. केमिस्ट्री में ग्रेस मार्क्स दिए गए. उनके लिए सबसे निराशाजनक चीजों में से एक यह थी कि निजी ट्यूशन के लिए भुगतान करने वाले छात्रों को प्रैक्टिकल परीक्षाओं में कैसे पसंद किया गया.

आईआईटी खड़गपुर से की पढ़ाई
राजीव दंडोतिया आर्थिक रूप से कमजोर की वजह से 12वीं पास करने के बाद उन्होंने अपने पिता की फ़ैक्टरी में मदद करना शुरू कर दिया. भारत में छोटा व्यवसाय चलाना बहुत कठिन है और कुछ वर्षों के बाद व्यवसाय बंद हो गया. इसके बाद उन्होंने बीएससी में एडमिशन लेने के बारे में सोचा लेकिन बोर्ड नंबरों की वजह से वह किसी में भी फिट नहीं बैठ रहे थे. इसके बार उन्होंने एक किताब बेचने वाले से संपर्क किया और पूछा की क्या कोई ऐसी परीक्षा है, जिसे मैं दे सकता हूं. इस पर किताब वाले ने आईआईटी-जेईई के लिए आवेदन करने का सुझाव दिया. इसके बाद जेईई की परीक्षा को पास किया और IIT खड़गपुर से बीटेक की पढ़ाई पूरी की राजीव दंडोतिया आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूरोपीय विश्वविद्यालय से पीएचडी की. अब वह कोपेनहेगन, डेनमार्क की एक ड्रिलिंग कंपनी – मार्सक में असिस्टेंट जनरल मैनेजर के पद पर काम कर रहे हैं.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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