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गले में आदिवासी सारली.. और अपनेपन का संदेश, पीएम ने धार में जन्मदिन मना कांग्रेस का प्‍लान किया फेल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जन्मतिथि पर बुधवार को मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल धार जिले में आए। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली चार जन्मतिथियों (17 सितंबर) में से दो मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल में मनाकर देशभर के आदिवासियों को अपनेपन का संदेश दिया है।17 सितंबर, 2022 को भी प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल श्योपुर के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़ा था। अब इस जन्मतिथि पर उन्होंने धार के भैंसोला में पीएम मित्र पार्क का शिलान्यास किया। दोनों कार्यक्रम बड़े थे और संदेश इससे भी बड़ा रहा।

आदिवासी बहुल जिला धार गुजरात की सीमा के करीब ही है। गुजरात के दाहोद, छोटा उदयपुर जैसे क्षेत्र की आदिवासी संस्कृति और मालवा-निमाड़ के भील आदिवासी आपस में रोटी-बेटी का संबंध रखते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री ने अपनी जन्मतिथि पर इस अंचल में पहुंचकर देशभर के आदिवासियों को एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की है।

कांग्रेस के षड्यंत्र को करारा जवाब

झाबुआ जिले के प्रसिद्ध अंगवस्त्र आदिवासी सारली यानी दुपट्टा गले में डालकर एकदम सकारात्मक और उत्साह से भरे माहौल में पीएम मोदी ने देशज स्टाइल में जो कुछ कहा, वह समूचे देश के आदिवासियों को एकजुट रखने का प्रयास है। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी जन्मतिथि के अवसर पर आदिवासियों के बीच आकर कांग्रेस के उस कथित षड्यंत्र का जवाब दिया है, जिसके तहत वह आदिवासियों को हिंदुओं से अलग करना चाहती थी।

कुछ ही दिनों पहले धार जिले के ही निवासी और मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा था कि गर्व से कहो आदिवासी हिंदू नहीं। कांग्रेस ने उमंग सिंघार के इस बयान से स्वयं को अलग नहीं किया, इसका आशय यही है कि कांग्रेस का भी उद्देश्य आदिवासी वर्ग को हिंदुओं से अलग बताना है। कांग्रेस ने यह विषय उस समय उठाया, जब जनगणना शुरू होने वाली है। कांग्रेस आदिवासियों को बरगलाकर जनगणना में उन्हें हिंदुओं से अलग दर्जा दिलाना चाहती है।

पीएम मोदी ने कैसे की भाषण की शुरुआत?

प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण के शुरू में भारत माता के साथ नर्मदा मैया का जयकारा लगाया। साथ ही मां वाग्देवी और भगवान विश्वकर्मा को प्रणाम किया। मालवा-निमाड़ से लेकर गुजरात तक के आदिवासियों की मां नर्मदा के प्रति गहरी आस्था है। प्रधानमंत्री ने देवी अहिल्या बाई को भी याद किया। वस्तुत: देवी अहिल्या बाई और भीलों का भी भावनात्मक रिश्ता रहा है।

पीएम मोदी ने नारी शक्ति, गरीब, युवा और किसान को विकसित भारत के चार स्तंभ बताते हुए इन्हें राष्ट्र की प्रगति का आधार बताया। इसे आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि आदि सेवा पर्व का मध्य प्रदेश संस्करण आरंभ हो रहा है, जो जनजातीय समाज को योजनाओं से जोड़ने का सेतु बनेगा।

अभियान ‘स्वस्थ नारी- सशक्त परिवार’ की शुरुआत के पीछे यही भाव छिपा है कि आदिवासी वर्ग सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। प्रदेश के आदिवासी इलाकों में सिकल सेल एनीमिया बड़ी समस्या है। हमारी सरकार इस बीमारी से बचाने के लिए राष्ट्रीय मिशन चला रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने याद दिलाया कि इस मिशन की शुरुआत भी मध्य प्रदेश के शहडोल से हुई थी। यह भी कहा कि सिकल सेल स्क्रीनिंग का एक करोड़वां कार्ड भी इसी धरती से मेरे हाथों से दिया गया है। इससे आने वाली पीढ़ी भी आशीर्वाद देगी। आदिवासी माताओं-बहनों से आग्रह भी किया कि सिकल सेल की जांच अनिवार्य रूप से कराएं। आदिवासी भाइयों से भी पीएम मोदी ने साथ मांगा और कहा कि वे महिलाओं को स्वस्थ रखने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

बता दें कि मध्य प्रदेश में राज्यपाल मंगुभाई पटेल भी गुजरात के आदिवासी वर्ग से हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश में सबसे पहले सिकल सेल एनीमिया से आदिवासी वर्ग को निजात दिलाने के लिए प्रयास आरंभ किए थे। प्रधानमंत्री के धार आने की बड़ी वजह आदिवासी वर्ग से निकटता भी है। आने वाले चुनाव में भी इस वर्ग की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहेगी। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि इस दृष्टिकोण से भी धार का चयन किया गया।

 धार में आदिवासी समुदाय से करीबी और दूसरी तरफ पीएम मित्र पार्क का शिलान्यास करके प्रधानमंत्री ने विरासत से विकास का संदेश दिया है। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव का नारा ‘मोदी के मन में एमपी, एमपी के मन में मोदी’ को भी चरितार्थ किया।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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