बैतूल जिले के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय मोटरसाइक्लिंग क्लब राइडर्स प्लेनेट बैतूल के दो सदस्य 29 मई को विश्व प्रसिद्ध लेह-लद्दाख राइड के लिए रवाना हुए थे। पहले दिन वे शिवपुरी होते हुए आगरा पहुंचे जहां यमुना एक्सप्रेसवे पर छतरपुर राइडर्स क्लब से मुलाकात की। दूसरे दिन कुरुक्षेत्र, तीसरे दिन मंडी और चौथे दिन मनाली होते हुए वे अटल टनल और रोहतांग पास पार कर यांगला पहुंचे।
पांचवें दिन राइडर्स ने लेह-लद्दाख के सबसे ठंडे और ऊंचाई वाले क्षेत्र सरचू में रुकाव किया, जहां तापमान माइनस 6 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था। इतनी ठंड में ऑक्सीजन की कमी के चलते कुछ अन्य राज्यों से आए राइडर्स को भारतीय सेना की एंबुलेंस से मेडिकल कैंप पहुंचाया गया, जहां उन्हें ऑक्सीजन देकर सुरक्षित किया गया।
राइडर्स प्लेनेट बैतूल क्लब के दोनों सदस्य छठे दिन सुबह सरचू विलेज से रवाना होकर लाचुंगला पास (16616 फीट ऊंचाई) पर पहुंचे, जहां अचानक बर्फीला तूफान शुरू हो गया। लेकिन दोनों राइडर्स की राइडिंग किट पूरी होने के कारण उन्होंने तूफान को सहते हुए आगे की यात्रा जारी रखी और लेह पहुंचे। रास्ते में उन्होंने शे गांव की मोनेस्ट्री भी देखी।
सातवें दिन राइडर्स ने खारदुंगला (18380 फीट), जो कि दुनिया का सबसे ऊंचा मोटरेबल ट्रैक है, पर बाइक चलाई। वहां अचानक हुई बर्फबारी के चलते बीआरओ द्वारा रास्ता क्लियर करवाया गया, जिससे सभी राइडर्स सुरक्षित लेह लौट सके। आठवें दिन राइडर्स ने लेह से लारायुमु मोनेस्ट्री का भ्रमण किया और फिर कारगिल पहुंचकर द्रास सेक्टर में कारगिल वार मेमोरियल पर जाकर कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वे जोजिला दर्रा, बालटाल, सोनमार्ग होते हुए श्रीनगर पहुंचे।
नौवें दिन श्रीनगर से अम्बाला और दसवें दिन आगरा होते हुए भोपाल से बैतूल लौटे। राइडर्स प्लेनेट बैतूल क्लब का उद्देश्य इको-टूरिज्म और ट्रैफिक अवेयरनेस को बढ़ावा देना है, जो इस यात्रा में राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सफल सिद्ध हुआ।