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MP की सबसे मशहूर सब्जी, ना प्याज-लहसुन का तड़का ना तेल फिर भी चाटते हैं उंगलियां, स्वाद ऐसा कि बार-बार खाना पसंद करते हैं लोग

दुनिया में खाने पीने की कोई कमी नहीं है। लोग एक से बढ़कर एक सब्जी घर में बनाते हैं। इसके अलावा, रेस्टोरेंट और होटल में भी नए व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए आते हैं। खान-पान के शौकीन एक देश से दूसरे देश केवल वहां के स्पेशल खाने का आनंद उठाने के लिए जाते हैं। ऐसे में आलू एक ऐसी चीज है, जिससे तरह-तरह के आइटम्स बनाए जाते हैं। आज हम आपको मध्य प्रदेश (MP) में सबसे अधिक खाए जाने वाली सब्जी के बारे में बताएंगे, जिसमें ना तो प्याज-लहसुन का तड़का होता है, ना तेल, फिर भी लोग उंगलियां चाट कर इसे खाते हैं।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में भंडारा हो या फिर शादी समारोह, लोगों की पहली पसंद ‘घुटमा आलू’ होती है, जिसे तैयार होने में करीब 4 से 5 घंटे लगते हैं।

घुटमा आलू

इस सब्जी का क्रेज लोगों में इतना अधिक है कि वह किसी भी समारोह को इस सब्जी के बिना अधूरा मानते हैं। इस इलाके में धार्मिक कार्यक्रम होने पर लोग भंडारा खाने दूर-दूर से आते हैं। घुटमा आलू की सब्जी का स्वाद उन्हें खींच लाता है। यहां उन्हें पूरी, घुटमा आलू सहित मालपुआ और खीर मिलता है, जो कि टेस्ट में लाजवाब होता है।

उंगलियां चाटते रह जाते हैं लोग

बता दें कि इस क्षेत्र में शादी समारोह हो या फिर भंडारा हो… करीब 50 से 60 क्विंटल आलू से घुटमा आलू की सब्जी तैयार की जाती है, जिसमें प्याज-लहसुन का नाम और निशान नहीं होता और ना ही इसमें तेल का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसका स्वाद इतना तगड़ा होता है कि लोग उंगलियां चाटते रह जाते हैं। पेट भले ही भर जाता है, लेकिन मन नहीं भरता।

5 घंटे में बनकर होता है तैयार

इस सब्जी को तैयार करने वाले हलवाइयों का कहना है कि सब्जी के पकाने का समय जितना अधिक होता है, उतना ही अधिक सब्जी टेस्टी बनती है। यह सिर्फ आलू और मसाले से तैयार की जाती है, जिसके लिए कम से कम 5 घंटे का समय लगता है। यह मसालेदार और चटपटी आलू की सब्जी लोग बड़े ही चाव से खाते हैं। इसकी ग्रेवी उबले हुए आलू से ही तैयार की जाती है।

ऐसे किया जाता है तैयार

आलू को धोने के बाद इसे कड़ाई में उबाला जाता है। करीब 3 घंटे आलुओं को उबालने के बाद इसमें हल्दी, लाल मिर्च पिसा, हरा धनिया का पेस्ट और नमक मिलाया जाता है। सब्जी की खासियत होती है कि इसे केवल देसी मसाले से ही बनाया जाता है। यह खासकर ग्वालियर, भिंड, मुरैना, दतिया जैसे इलाकों में बड़े ही पसंद से खाई जाती है।

प्रसिद्ध कहावत

इस सब्जी को लेकर चंबल में कहावत भी प्रसिद्ध है, “जो एक बार चंबल के घुटमा आलू खाता है, वह बार-बार यहां आता है।” अक्सर भंडारे में यहां लाखों की संख्या में लोग इस प्रसाद को छकने के लिए पहुंचते हैं। इसका स्वाद जितना लाजवाब है, उतना ही देश भर के लोग यहां खिंचे चले आते हैं।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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