पलवल (एजेंसी)। अभी हाल ही में गुरुग्राम और फरीदाबाद में कोरोना के पांच नए मामलों आए हैं, इसके बावजूद जिले का स्वास्थ्य विभाग नए वैरिएंट की जांच के लिए पूरी तरह अभी न तो तैयार है और न ही कोई अलर्ट मोड पर। स्वास्थ्य विभाग ने सभी संक्रमितों को घर पर आइसोलेट होने की सलाह दी है। लेकिन इन बढ़ते मामलों के बीच, हरियाणा के पलवल जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हालत बेहद चिंताजनक है।

जिला नागरिक अस्पताल में कोरोना काल के दौरान तैयार की गई सुविधाएं अब जर्जर हालत में पड़ी हैं। न तो इनकी मरम्मत करवाई गई और न ही इनका किसी अन्य स्वास्थ्य सेवा में उपयोग किया गया। साथ ही आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तैयार नहीं है। अब ये संसाधन धीरे-धीरे खराब होकर जर्जर होते जा रहे हैं। 2021 में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के समय सरकार द्वारा तात्कालिक जरूरतों को देखते हुए करोड़ों रुपये की लागत से चार आइसोलेशन वार्ड, दो डॉक्टर कक्ष, एक आईसीयू वार्ड और एक ओपीडी रूम और ऑक्सीजन सपोर्ट यूनिट जैसी सुविधाएं तैयार करवाई गई थीं। इन पर सरकारी बजट से भारी भरकम खर्च किया गया था, लेकिन महामारी के बाद से ये सभी ढांचे लावारिस हालत में पड़े हैं। इसके अलावा जिला नागरिक अस्पताल के तीसरे तल पर स्थित मॉलीक्यूलर लैब बंद पड़ी है। इससे कोरोना के नए वैरियंट का पता लगाने के लिए आरटी पीसीआर जांच की सुविधा नहीं ही नहीं है।


9 महीनों से ठप्प है ऑक्सीजन प्लांट यूनिट
2021 में पीएम केयर फंड से निर्मित 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता वाले इस ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित किया गया था। लेकिन पिछले 9 महीनों से पूरी तरह ठप्प पड़ा है। सूत्रों के अनुसार कुछ ऐसा ही हाल होडल के नागरिक अस्पताल में लगे ऑक्सीजन प्लांट का है। दोनों प्लांट कुछ दिन तो चले, लेकिन उसके बाद ठप हो गए। अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति सिलिंडरों के माध्यम से की जा रही है। इस कारण अस्पताल प्रशासन निजी प्लांट से ऑक्सीजन खरीदकर मरीजों को उपलब्ध करवा रहा है। प्रति माह लगभग सवा लाख रुपये की ऑक्सीजन सिलिंडर निजी प्लांट से मंगाया जा रहा है।


लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ
मौजूद कर्मियों ने बताया कि प्रतिदिन करीब 10-12 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है। एक सिलिंडर में करीब 20 लीटर ऑक्सीजन गैस आती है। 20 लीटर ऑक्सीजन सिलिंडर रिफिल करने में करीब 350 रुपये का खर्चा आता है। इस तरह से महीने में करीब साढ़े तीन सौ सिलिंडरों की खपत हो रही है। इस तरह एक माह में अस्पताल में सवा लाख रुपये की ऑक्सीजन पहुंचती है। पिछले छह माह में तो यह आंकड़ा करीब साढ़ सात लाख रुपये पहुंच चुका है। ऐसे में यदि समय रहते प्लांट दुरुस्त कर दिया जाता तो अस्पताल प्रशासन को आर्थिक चपत नहीं लगती। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी जिला अस्पताल पर भारी पड़ रही है। ऑक्सीजन प्लांट को लेकर स्वास्थ्य विभाग से मामला उठाने के बाद भी समाधान नहीं हो रहा है।

क्या बोले अधिकारी
हम इन सुविधाओं को जल्द दोबारा शुरू करने की दिशा में काम कर रहे हैं। तकनीकी निरीक्षण कराकर जल्द ही आईसीयू, आइसोलेशन वार्ड और ऑक्सीजन प्लांट को ठीक करवाया जाएगा। जांच की सुविधा भी बहाल की जाएगी। कोरोना से निपटने के लिए एक रणनीति तैयार की जा रही है। साथ ही नागरिकों से घबराने की बजाय सतर्क रहने की अपील की है।
-डॉक्टर जयभगवान जाटान, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पलवल
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