-दीपक रंजन दास
भारत ने पड़ोसी मुल्क द्वारा पालित-पोषित आतंकवाद पर प्रचण्ड प्रहार किया है. भारत ने यह हमला कोई चोरी छिपे नहीं बल्कि पूरी दुनिया को बताकर और विश्वास में लेकर किया है. भारत ने पाकिस्तान के अंदर 100 किलोमीटर घुस कर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया है. आतंकवाद के खिलाफ किसी भी देश के द्वारा की गई यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है. मानना पड़ेगा कि भारत अब वह भारत नहीं रहा जो सिर्फ चेतावनी देता था और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाता था. यह भारत आज स्वयं सक्षम है. इसकी अपनी प्रतिबद्धताएं हैं और किसी भी परिस्थिति में वह रुकने या झुकने को तैयार नहीं है. आतंक की बहुत सारी घटनाओं को भारत ने झेला है पर अब सब्र का बांध टूट चुका है. पहले पुलवामा और फिर पहलगाम में की गई बर्बरता के बाद भारत ने ऐसा तमाचा पाकिस्तान के मुंह पर मारा है कि उसका सिर भन्ना गया होगा. हिजबुल, लश्कर और जैश के हेडक्वार्टर को बर्बाद कर दिया गया है. प्रधानमंत्री ने इस ऑपरेशन को अप्रत्याशित रूप से सिन्दूर नाम दिया था. भारत में सिन्दूर शब्द का बड़ा महत्व है. सिन्दूर विवाहिता की शक्ति का प्रतीक है. सिन्दूर की रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है, यहां तक कि यमराज से भी टकरा सकती है. भारत अपने देश को अपनी मां मानता है और यह सवाल उसके सिन्दूर का है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल देश बल्कि दुनिया का दिल जीत लिया है. आतंक हो या घुसपैठ, पाकिस्तान को अब तो समझ में आ गया होगा कि उसकी औकात भारत के आगे पिद्दी से अधिक नहीं है. संदेश साफ है कि भारत अब तक तो सावधानी से आतंकी ठिकानों को चुन-चुन कर निशाना बना रहा है पर यदि पाकिस्तान फिर भी बाज नहीं आया तो उसका नामोनिशान मिटा दिया जाएगा. सबसे बड़ी बात यह कि भारत अब खुलकर आतंकवाद के खिलाफ है. उसके सभी मित्र देश उसके साथ हैं और आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं. और तो और, अब तक पाकिस्तान को जिस चीन की ताकत का भरोसा था, उसने भी सुबह-सुबह आतंक के खिलाफ सख्त संदेश देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है. पाकिस्तान को हमेशा लगता रहा है कि जब भी भारत-पाकिस्तान के बीच जंग होगी तो भारत का मुसलमान उसका साथ देगा पर इस बार उसका यह भ्रम भी चूर-चूर हो गया है. आखिर क्यों कोई किसी ऐसे देश का समर्थन करेगा जिसकी बुनियाद ही एक खामख्याल जिद पर खड़ी है? भारतीय मुसलमान अच्छे से जानते हैं कि वे भारत में न केवल महफूज हैं बल्कि पाकिस्तानी मुसलमानों से बेहतर स्थिति में हैं. अच्छा हो कि पाकिस्तान अपना बचपना छोड़ दे, बड़ा भाई अब दाढ़ी नुचवाने को तैयार नहीं है. उसने छोटे को दोनों हाथ में उठा लिया है, नहीं माना तो पटक दिया जाएगा.

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