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पाकिस्तान से तनाव के बीच जापानी अखबार का बड़ा दावा, भारत को भेजा गया 6th जेनरेशन फाइटर जेट प्रोग्राम का प्रस्ताव, GCAP क्या है?

टोक्यो: जापान ने शुरूआती हिचकिचाहट के बाद आखिरकार भारत को छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट के लिए प्रस्ताव भेज दिया है। जापान की क्योदो न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जापान ने कथित तौर पर अगली पीढ़ी के ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) में भाग लेने के लिए भारत से संपर्क किया है। GCAP जापान, यूनाइटेड किंगडम और इटली के नेतृत्व में चलाया जा रहा है एक फाइटर जेट प्रोग्राम है, जिसका मकसद छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण है। जापानी सरकार के एक सूत्र ने 30 अप्रैल को इसके बारे में जानकारी दी है। इस प्रस्ताव का मकसद छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के निर्माण में आने वाली लागत को कम करना है।यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक लागत कम करने के अलावा जापानी अधिकारी ने संकेत दिए हैं कि जापान, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख एशियाई खिलाड़ी है और उसकी कोशिश भारत के साथ सुरक्षा संबंधों को और गहरा करना है। जापानी न्यूज एजेंसी के मुताबिक जापानी अधिकारियों ने फरवरी में भारत का दौरा किया था। उन्होंने भारतीय अधिकारियों को जापान-यूके-इटली “ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP)” के बारे में बताया और उनकी भागीदारी का प्रस्ताव रखा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए “मेक इन इंडिया” पहल की स्थापना की है और जापानी प्रस्ताव में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि अभी तक दोनों में किसी भी पक्ष ने इस प्रस्ताव के बारे में पुष्टि नहीं की है।GCAP छठी पीढ़ी का फाइटर जेट प्रोग्राम क्या है?
जापान, यूके और इटली के नेताओं ने 19 नवंबर 2024 को बैठक की थी, जिसमें GCAP कार्यक्रम का विस्तार करके इसमें और ज्यादा देशों को शामिल करने का फैसला किया गया था। छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की मकसद से 2022 में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था। पिछले साल इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने GCAP कार्यक्रम को तेज करने के लिए मौजूदा साझेदारी को बढ़ाने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी। इस प्रोजेक्ट के तहत इस साल के अंत तक डिजाइन का काम पूरा हो जाना है।जापान की मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज, इटली की लियोनार्डो और ब्रिटेन की BAE सिस्टम्स, सिस्टम इंटीग्रेटर के रूप में अस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रही हैं। लेकिन एक एडवांस फाइटर जेट का निर्माण काफी ज्यादा मुश्किल होता है और इसमें बेहिसाब पैसे खर्च होते हैं, जो इन तीन देशों के लिए मुश्किल हो रहा है, इसलिए नये भागीदार को शामिल करने पर सहमति जताई गई। भारत इसके लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार बन सकता है। लेकिन शुरूआत में रूसी एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम होने की वजह से जापान ने भारत को लेकर हिचकिचाहट दिखाई थी, लेकिन अब जापान तैयार हो चुका है।

GCAP में कौन कौन देश हो सकते हैं शामिल?
नवंबर 2023 में स्वीडन ने इस प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया था। लेकिन अब सऊदी अरब के शामिल होने की चर्चाएं हैं। मार्च 2023 में सऊदी अरब ने समय से पहले GCAP में अपनी भागीदारी की घोषणा की थी। लेकिन बाद में उसकी दावेदारी पर सवाल उठे। लेकिन फिर सितंबर 2023 में एक ब्रिटिश अधिकारी ने सऊदी अरब को फिर से शामिल होने को लेकर आशा जताई थी। जापान ने कथित तौर पर किंगडम के प्रवेश का विरोध किया है और किसी भी नए भागीदार के लिए तीन मौजूदा तीनों सदस्यों-ब्रिटेन, जापान और इटली-से सर्वसम्मति से अनुमोदन की आवश्यकता को रेखांकित किया है। जर्मनी पहले भी ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) में संभावित भागीदारी के लिए एक अप्रत्याशित उम्मीदवार के रूप में उभरा है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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