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मेट्रो स्टेशन को किया जाएगा सिटी बसों से कनेक्ट मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि मेट्रो को शहर के प्रमुख स्थानों से जोड़ने का काम भी तेजी से चल रहा है. जिसमें मेट्रो स्टेशन को सिटी बसों से कनेक्ट किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेट्रो के उद्घाटन के लिए अनुरोध किया गया है. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में इसका विधिवत उद्घाटन किया जाएगा. साथ ही अंडरग्राउंड मेट्रो को लेकर भी प्लानिंग की जा रही है.

हमारे देश में हर साल गेहूं की कटाई के बाद ज्यादातर परिवार अपने साल भर के इस्तेमाल के लिए गेहूं को स्टोर करते हैं. यह न केवल पैसे की बचत करता है. बल्कि शुद्ध और मिलावट रहित अनाज भी घर में मौजूद रहता है. लेकिन जब गेहूं को लंबे समय तक रखा जाता है, तो उसमें घुन लगने की समस्या हो जाती है.

घुन यानी छोटे-छोटे कीड़े जो अनाज को अंदर से खोखला बना देते हैं. इससे गेहूं की गुणवत्ता खराब हो जाती है और कभी-कभी पूरी मात्रा बर्बाद हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते सही उपाय अपनाए जाएं. जिससे अनाज लंबे समय तक सुरक्षित और उपयोगी बना रहे.

घुन लगने के कारण और नुकसान

गेहूं में घुन लगने के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे:

  • भंडारण की गलत जगह
  • ज्यादा नमी वाला वातावरण
  • लगातार बंद रखे हुए कंटेनर
  • गर्मी और उमस का असर
  • साफ-सफाई की कमीघुन लग जाने से न केवल गेहूं खराब होता है. बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है. बच्चों और बुजुर्गों के लिए ऐसा अनाज खाने से पेट की समस्याएं, एलर्जी या संक्रमण तक हो सकता है.

    मिट्टी की डेहरी में रखें गेहूं

    मिट्टी की बड़ी डेहरियां (मटकियां या हांड़ियां) पुराने समय से अनाज स्टोर करने का एक विश्वसनीय और देसी तरीका रहा है. मिट्टी की वस्तुएं नमी को संतुलित रखती हैं और हवा के संपर्क को सीमित करती हैं, जिससे घुन के पनपने की संभावना कम हो जाती है.

    अगर आपके पास बड़ी मिट्टी की डेहरी है, तो उसमें गेहूं को साफ और पूरी तरह सूखा कर डालें. साथ ही उसका मुंह अच्छे से बंद कर दें ताकि नमी और कीड़े अंदर न जा सकें.

    नीम की पत्तियां

    नीम को आयुर्वेद और घरेलू उपायों में चमत्कारी माना गया है और इसका इस्तेमाल अनाज को सुरक्षित रखने में भी किया जाता है. आप जब गेहूं को स्टोर करें, तो उसमें साफ और सूखी नीम की पत्तियां डाल दें.

    नीम की पत्तियों में मौजूद गुण घुन और अन्य कीटों को पनपने नहीं देते. साथ ही यह अनाज की खुशबू और स्वाद पर भी असर नहीं डालता. हर 2-3 महीने में नीम की पत्तियों को बदल देना चाहिए ताकि असर बना रहे.

    कड़ी धूप में सुखाना है जरूरी

    गेहूं को स्टोर करने से पहले और स्टोर करने के बाद भी समय-समय पर कड़ी धूप में सुखाना बहुत जरूरी होता है. धूप में सुखाने से गेहूं में मौजूद नमी पूरी तरह से निकल जाती है, जिससे कीड़े नहीं पनपते.

    हर 2-3 महीने में अनाज को निकालकर अच्छी तरह फैला दें और 4-5 घंटे तक तेज धूप में सुखाएं. उसके बाद फिर से अच्छे से पैक कर लें. यह प्रक्रिया घुन से बचाव के लिए अत्यंत प्रभावी और सरल उपाय है.

    कपूर का इस्तेमाल करें घरेलू नुस्खे के रूप में

    कपूर यानी कपूरा घरों में पूजा के अलावा कीट-नाशक के रूप में भी काम आता है. आप चाहें तो गेहूं स्टोर करते समय उसमें 2-3 कपूर की टिकिया (टेबल्ट) कपड़े में लपेटकर डाल सकते हैं.

    कपूर की खुशबू कीड़ों को दूर रखती है और अनाज की रक्षा करती है. ध्यान रहे कि कपूर सीधे गेहूं में न डालें, बल्कि कपड़े में लपेटकर रखें ताकि अनाज उससे प्रभावित न हो.

    भंडारण के लिए सही जगह का चुनाव करें

    आप गेहूं को जहां भी स्टोर कर रहे हैं, वह जगह:

    • सूखी हो
    • हवादार हो
    • दीवारों में सीलन न हो
    • सीधे जमीन पर न हो (लकड़ी या प्लास्टिक के तख्त पर रखें)
    • बंद और अंधेरे में न हो (थोड़ी-बहुत रोशनी आती रहे)

    अच्छी जगह पर अनाज स्टोर करने से उसकी लाइफ बढ़ती है और कीड़ों से बचाव भी होता है.

    गेहूं की छंटाई और सफाई भी जरूरी

    कई बार अनाज के साथ भूसी, कंकड़ या छिलके भी रह जाते हैं जो घुन लगने की वजह बनते हैं. इसलिए स्टोर करने से पहले गेहूं की अच्छी तरह छंटाई और सफाई जरूर करें.

    अगर आपके पास छन्नी या बड़ी जाली हो, तो उसका इस्तेमाल करें. कई लोग छांव में रखकर हल्का सुखाकर भी सफाई करते हैं. जिससे गेहूं में चमक भी आ जाती है और वो जल्दी खराब नहीं होता.

    नियमित जांच रखें अनाज पर

    एक बार गेहूं स्टोर कर देने के बाद उसे भूलना नहीं चाहिए. हर महीने 1 बार अनाज को चेक करें – देखिए कहीं किसी तरफ सफेद या भुरभुरी चीजें तो नहीं जमा हो रही. कोई बदबू तो नहीं आ रही, कोई कीड़ा तो नहीं दिख रहा. अगर कुछ गड़बड़ लगे तो तुरंत अनाज को निकालकर दोबारा धूप में सुखाकर नया उपाय अपनाएं.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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