कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने बैंकिंग नेटवर्क का विस्तार कर दिया है. EPFO ने 15 नए पब्लिक सेक्टर और निजी सेक्टर के बैंकों के साथ समझौता किया है. इस समझौते पर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.नए जोड़े गए ये 15 बैंक हर साल 12,000 करोड़ रुपये के डायरेक्ट पेमेंट की सुविधा देंगे और उन रोजगार देने वालों को सीधा एक्सेस प्रदान करेंगे जो इन बैंकों के खाताधारक हैं. पहले से 17 बैंक EPFO में लिस्टेड थे, जिससे अब कुल संख्या 32 बैंकों तक पहुंच गई है.
दावों का निपटान हुआ तेज
डॉ. मांडविया ने कहा कि EPFO 8 करोड़ सक्रिय सदस्यों और 78 लाख पेंशनभोगियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है. उन्होंने यह भी बताया कि EPFO 2.0 के तहत आईटी सिस्टम को मजबूत किया गया है, जिससे दावों का निपटान तेज हुआ है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में EPFO ने 6 करोड़ से अधिक दावों का निपटारा किया, जो 2023-24 की तुलना में 35% अधिक है.
उन्होंने बताया कि “ऑटो-क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस” लागू होने के बाद अब दावों का निपटान मात्र तीन दिनों में हो रहा है. 2024-25 में 2.34 करोड़ दावों का निपटान ऑटो-प्रोसेसिंग सिस्टम के तहत हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 160% अधिक है.सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट सिस्टम लागू
डॉ. मांडविया ने बताया कि “सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट सिस्टम” लागू कर दिया गया है, जिससे 78 लाख से अधिक पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा. अब वे किसी भी बैंक खाते में अपनी पेंशन प्राप्त कर सकते हैं, जबकि पहले उन्हें किसी विशेष जोनल बैंक में खाता खोलना अनिवार्य था.
नए बैंकों से EPFO को होगा फायदा
रोजगार देने वालों के लिए मासिक योगदान जमा करने में आसानी होगी. EPFO को टी+1 दिन में भुगतान निवेश के लिए उपलब्ध हो जाएगा, जबकि पहले यह प्रक्रिया टी+2 दिन में पूरी होती थी. नॉन-कॉन्ट्रेक्टेड बैंकों में खाताधारकों के नाम वेरिफिकेशन पर लगने वाली एक्ट्रा लागत कम होगी. ईपीएफ सदस्यों के बैंक खातों का सत्यापन तेज होगा, जिससे भुगतान में देरी नहीं होगी.
EPFO ने 3.41 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन
कारोबारी साल 2024-25 में EPFO ने 3.41 लाख करोड़ रुपये का योगदान संग्रह किया, जो 20 मार्च 2025 तक 1.25 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक चालान-कम-रिटर्न (ECRs) के माध्यम से प्राप्त हुआ.
डॉ. मांडविया ने कहा कि EPFO 3.0 की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इसे बैंकों की तरह अधिक सुलभ एवं प्रभावी बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा, “हम सदस्यों के लिए Ease of Living और रोजगार देने वालों के लिए Ease of Doing Business को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”
इस अवसर पर EPFO के सेंट्रल पीएफ कमिश्नर रमेश कृष्णमूर्ति, बैंकिंग संस्थानों के एमडी/सीईओ, श्रम मंत्रालय और EPFO के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.