भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने आंध्र प्रदेश में शिलालेखों और शैल कला के खजाने की खोज की थी. ठीक उसके बाद अब तेलंगाना के कुछ हिस्सों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को 1517 ई. के तेलुगू शिलालेख मिले हैं.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम को राजन्ना सिरसिला जिले के अनंतगिरि में नरसिंहुलगुट्टा में शिलालेख मिले. अधिकारियों ने बताया कि यह शिलालेख में विभिन्न स्थानीय हिंदू देवताओं की स्तुति है और इसमें अनंतगिरि में एक पहाड़ी की चोटी पर विष्णु मंदिर के निर्माण का उल्लेख है. इस साल की शुरुआत में आंध्र प्रदेश के लंकामाला रिजर्व फॉरेस्ट में 800 से 2000 साल पुराने शिलालेख मिले थे.
महापाषाण काल की शैल कला मिली थी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्वेक्षण में महापाषाण काल की शैल कला भी मिली. इसे हाल के समय की सबसे बड़ी पुरातात्विक खोज बताया गया. इस सर्वेक्षण में तीन शैलाश्रय मिले. अधिकारियों ने बताया कि इनमें से एक में जानवरों, ज्यामितीय पैटर्न और मानव आकृतियों को दर्शाती आश्चर्यजनक प्रागैतिहासिक पेंटिंग थीं. मेगालिथिक (लौह युग) और प्रारंभिक ऐतिहासिक काल (2500 ईसा पूर्व-दूसरी शताब्दी ई.) की ये पेंटिंग लाल गेरू, काओलिन, जानवरों की चर्बी और कुचली हुई हड्डियों जैसी प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग करके बनाई गई थीं.
चालुक्य काल के तीन शिलालेख भी मिले थे
तेलंगाना के पास चट्टानों पर शिलालेखों की एक विरासत है, जो इसके इतिहास को दर्शाते हैं. पिछले साल, एएसआई की एक टीम को विकाराबाद के कंकल गांव में चालुक्य काल के तीन शिलालेख मिले थे. राज्य में तेलुगु में सबसे पुराना ज्ञात शिलालेख केसर गुट्टा शिलालेख है, जो 420 ई. का है. करीमनगर में बोम्मालगुट्टा शिलालेख और वारंगल में 9वीं शताब्दी का एक शिलालेख भी है.