सफलता हासिल करने के लिए कुछ चाहिए तो वो है मेहनत, जोश और जुनून. इस बात को सच कर दिखाया है बलिया की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सरिता पांडेय ने. वो अपनी सफलता से पूरे परिवार और समाज को इंस्पायर कर रही हैं. शादी के बाद घर परिवार और 5 साल के बच्चे की जिम्मेदारी संभालते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सरिता पांडेय ने न केवल सफलता पाई है बल्कि इतिहास भी रचा है. इनका नाम पूरे देशभर में चयनित 34 प्रोफेसर की लिस्ट में शामिल है.
प्रोफेसर बनने का था सपना
जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सरिता पांडेय ने कहा कि वह मिर्जापुर की रहने वाली हैं. शादी वाराणसी में हुई है. डॉ. सरिता अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी. डॉ. सरिता शुरू से ही प्रोफेसर बनना चाहती थी. उन्होंने तमाम प्राइवेट नौकरी भी की लेकिन, अपने सपने पर हमेशा फोकस करती थीं.
कितनी हैं पढ़ी-लिखीं?
डॉक्टर सरिता सीबीएसई से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट, BHU से BA, MA और डिप्लोमा किया. डॉक्टर सरिता महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से b.Ed और MPPSC से M.P.SET की. पुणे विश्वविद्यालय से डॉक्टर सरिता ने महाराष्ट्र SET कर ली. इसी दौरान डॉक्टर सरिता ने यूपी हायर एजुकेशन सर्विस कमीशन से UPHESC और यूजीसी से इन्होंने नेट भी क्वालीफाई किया. उसके बाद हैदराबाद यूनिवर्सिटी से PGCTE करके और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली. उसके बाद इग्नू से मैप पीडीपी भी इन्होंने किया.
दिन-रात एक कर रचा इतिहास
डॉ. सरिता ने आगे बताया कि उनके घर वालों के साथ ससुराल वालों ने भी बहुत सपोर्ट किया और उनके पति भी डॉक्टर अंकुर पांडेय डिपार्मेंट आफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर साइंस राजीव गांधी इंस्टीट्यूट आफ पैट्रोलियम टेक्नोलॉजी जयेश में असिस्टेंट प्रोफेसर है. डॉ. सरिता उक्त कामयाबी विवाह के बाद 5 साल के बच्चे और पूरे घर की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए पाई. असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के बावजूद भी एक बड़ी सफलता पाई.
कैसे रचा इतिहास?
भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) ने प्रतिष्ठित प्रमुख अनुसंधान परियोजना के तहत डॉ. सरिता पांडेय को 16 लाख रुपये का अनुदान दिया है. यह दीर्घ शोध परियोजना देशभर में केवल 34 आवेदकों को ही मिला है. इस बड़ी सफलता में भी सरिता ने इतिहास रच डाला.