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सरकारी अफसरों को पात्रता 10 लाख तक की,लेकिन चल रहे 30 लाख के वाहन पर, जवाबदार कौन!

भोपाल .राज्य सरकार के आदेश हैं कि ग्रेड-पे 8,900 रुपए से अधिक वाले सरकारी अफसर दस लाख रुपए लागत से ज्यादा के वाहन किराए पर नहीं ले सकेंगे। लेकिन, अधिकांश विभागों के अफसर किराए के लग्जरी वाहनों पर चल रहे हैं।इधर, मंत्रालय में पदस्थ प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों ने करीब 25-30 लाख की इनोवा क्रिस्टा किराए पर लेकर रखी है। वहीं, संचालनालय में पदस्थ संयुक्त संचालक जैसे अफसर भी इनोवा का उपयोग कर रहे हैं। एक अनुमान है कि प्रदेशभर में ऐसे छह हजार किराए के वाहनों से सरकार के खजाने पर हर माह औसतन 25 करोड़ रुपए से अधिक का भार आ रहा है। पुलिस मुख्यालय में पदस्थ एडीजी स्तर के अधिकांश अफसरों के पास इनोवा है। पीडब्ल्यूडी, खाद्य एवं नागरिक उपभोक्ता संरक्षण में भी यही स्थिति है।जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता विनोद कुमार देवड़ा ने 10 फरवरी को लिखा है कि शासकीय एवं अनुबंधित वाहनों पर अनावश्यक खर्च रोकने एवं टैक्सी व वाहन किराए पर लिए जाने डीजल तथा पेट्रोल की निर्धारित सीमा का ख्याल रखें। कुछ अधिकारियों द्वारा वाहन किराए पर लिए जाने संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुरूप उनके ग्रेड-पे अनुसार वाहन का अनुबंध नहीं है।

जल संसाधन विभाग का अल्टीमेटम

एक अधिकारी एक से अधिक कार्यालयों/ पदों और कछार के प्रभार में है तो उस अधिकारी द्वारा एक से अधिक वाहन का उपयोग किया जा रहा है। जबकि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि अधिकारियों को उन वाहनों का उपयोग करना चाहिए जिनके लिए उन्हें अनुमति है। एक अधिकारी को केवल एक वाहन का उपयोग करना चाहिए

वित्त विभाग के यह हैं नियम (28 दिसंबर 2017)

7,600 रुपए ग्रेड-पे तक वाहन 1 की अधिकतम लागत सीमा 6.50 लाख रुपए (एक्स-शो रूम प्राइज)

8,700-8,900 ग्रेड-पे के 2 लिए अधिकतम लागत सीमा 8 लाख रुपए।

इससे अधिक ग्रेड-पे में • अधिकतम लागत सीमा 10 लाख रुपए। सात साल से लागू है यह आदेश

(छटवें वेतनमान के अनुसार)

कुछ मामलों में वित्त विभाग ने मंजूरी दी है

विभाग के निर्देश किराए पर वाहनों के संबंध में हैं। नई गाड़ियां खरीदने के लिए नहीं। कुछ मामलों में वित्त विभाग ने 10 लाख रुपए एक्स शो रूम कीमत से अधिक के वाहनों के लिए अनुमति दी है। सरकारी निर्देश निगम-मंडलों पर लागू नहीं।

मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव, वित्त

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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