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Breaking News : जेल से रिहा हुए विधायक देवेन्द्र, रायपुर सेंट्रल जेल में 6 माह बंद थे, सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत… समर्थकों का हुजूम

भिलाई। बलौदा बाजार हिंसा मामले में 6 माह से जेल में बंद भिलाई नगर विधायक शुक्रवार शाम को जेल से रिहा हो गए। सेंट्रल जेल रायपुर के बाहर विधायक देवेन्द्र यादव के स्वागत के लिए भारी संख्या में समर्थकों की भीड़ मौजूद रही। भिलाई, रायपुर व बलौदा बाजार से सैकड़ों की तदात में विधायक के समर्थक रायपुर पहुंचे। सेंट्रल के बाहर लगातार देवेन्द्र यादव जिंदाबाद के नारे लगते रहे। सेंट्रल जेल से बाहर निकलने के बाद समर्थकों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया।

बता दें 10 जून 2024 में बलौदाबाजार में सतनामी समाज के विरोध प्रदर्शन के दौरान कलेक्टर और एसपी ऑफिस जला दिए गए थे। इस मामले में भीड़ को भड़काने, आंदोलनकारी का साथ देने का आरोप लगाकर कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव पर केस दर्ज किया गया था। इस दौरान कई बार उनकी जमानत याचिका खारीज हुई। विधायक देवेन्द्र के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई जिस पर 20 फरवरी को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मंजूर करते हुए विधायक देवेन्द्र की रिहाई का आदेश जारी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट से इस केस को लेकर दिए गए दिशा निर्देश से जुड़े दस्तावेज बलौदाबाजार की अदालत में पेश किए गए। प्रक्रिया पूरी होने के बाद शुक्रवार शाम को विधायक देवेन्द्र यादव जेल से रिहा कर दिए गए।

सेंट्रल जेल के बाहर समर्थकों की लगी भीड़

समर्थकों का उमड़ा हुजूम
देवेन्द्र यादव को जमानत की मिलने की खबर के बाद उनके समर्थकों में जश्न का माहौल दिखा। 20 फरवरी को भिलाई में उनके समर्थकों ने मिठाई बांटकर व आतिशबाजी कर खुर्शी मनाई। वहीं शुक्रवार को उनकी रिहाई से पहले ही सेंट्रल जेल के गेट के सामने देवेन्द्र यादव के समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी। भिलाई के साथ ही रायपुर व बलौदाबाजार से भी विधायक देवेन्द्र यादव के समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी। समर्थक यहां लगातार नारेबाजी करते रहे। सेंट्रल जेल से रिहा होने के बाद देवेन्द्र यादव ने समर्थकों का अभिवादन स्वीकार किया। इसके बाद वे सीधे भिलाई के लिए रवाना हो गए।

विधायक देवेन्द्र की झलक पाने पेड़ पर चढ़ गया समर्थक

जानिए क्या है बलौदाबाजार हिंसा का पूरा मामला
बता दें 15 मई 2024 को सतनामी समुदाय के धार्मिक स्थल गिरौदपुरी धाम से करीब 5 किमी मानाकोनी बस्ती स्थित बाघिन गुफा में लगे धार्मिक चिन्ह जैतखाम को देर रात क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। इस घटना के बाद समाज के लोगों में काफी आक्रोश था। घटना के बाद 19 मई को पुलिस ने इस मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि नल-जल योजना कार्य में ठेकेदार पैसे नहीं दे रहा था। इसलिए शराब के नशे में आरोपियों ने तोड़फोड़ कर दी लेकिन इस कार्रवाई से समाज के लोग संतुष्ट नहीं थे। इस बीच 10 जून को बलौदाबाजार में प्रदर्शन के दौरान लोग अचानक से उग्र हो गए। हिंसा के दौरान कलेक्टर-एसपी दफ्तर में आगजनी की गई। कई गाड़ियां जला दी गई। इसके बाद कई जनप्रतिनिधि समेत करीब 200 लोगों की गिरफ्तारी हुई। प्रदर्शन में एक वीडियो सामने आया जिसमें देवेंद्र यादव भी शामिल दिखे। इस मामले में उन्हें नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया गया। एक बार वे पूछताछ के लिए बलौदाबाजार भी पहुंचे। इसके बाद 17 अगस्त को भिलाई के सेक्टर पांच स्थित उनके निवास से उनकी गिरफ्तारी हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट में विधायक देवेन्द्र की दलील
जमानत याचिका के साथ विधायक देवेन्द्र ने जो दलील दी उसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका मंजूर की। विधायक देवेंद्र यादव की ओर से दी गई दलील में कहा गया कि बलौदाबाजार हिंसा घटना वाले दिन वह सिर्फ सभा में शामिल हुए। नतो वे मंच पर गए और न किसी भी प्रकार का भाषण दिया। जब किसी प्रकार का भाषण नहीं दिया तो भीड़ को उकसाने वाली बात कहां से आई। विधायक देवेन्द्र ने कहा उनके कार्यक्रम स्थल से लौटने के बाद यह सारा घटनाक्रम हुआ। जहां हिंसक घटना हुई वहां देवेंद्र यादव मौजूद नहीं थे। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी गिरफ्तारी भिलाई में उनके घर से हुई जो की घटनास्थल से कई किलोमीटर दूर है।

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