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आंखें निकाल कर गूगल मैप लगवा लें?

-दीपक रंजन दास
गूगल मैप एक बार फिर सुर्खियों में है. आरोप हैं कि गूगल मैप ने गलत रास्ता दिखाया जिसके कारण युवकों ने बैरीकेडिंग पर कार चढ़ा दी. घटना दिल्ली से लुधियाना जाने वाली सड़क की है. गुरुवार रात 3 बजे तीन युवक एक कार पर सवार होकर इस रास्ते से निकले. शंभू बार्डर पर उनकी कार कंक्रीट डिवाइडर पर चढ़ गई. यह बैरिकेडिंग पुलिस ने किसान आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए लगाई थी. बताया जा रहा है कि युवक गूगल मैप के सहारे लुधियाना जा रहे थे. गूगल मैप ने रास्ता तो सही बताया पर यह नहीं बताया कि रास्ते पर बैरिकेडिंग है. क्या बात है! गूगल मैप ने तो सिर्फ रास्ता बताया था, उसपर गड्ढे, मवेशी, बैरीकेडिंग देखने के लिए भगवान ने आंखें दे रखी हैं. सड़क पर पेड़ गिरा हो सकता है, कोई गाड़ी ठुकी पड़ी हो सकती है, कोई होर्डिंग गिरा हो सकता है. कार में हेड लाइट और चेहरे पर सामने की ओर दी गई दो आंखें आखिर क्या करने के लिए होती हैं? हादसे का पता पुलिस को काफी बाद में चला. तब तक युवक कार को छोड़कर जा चुके थे. पुलिस को कार में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे उसके सवारों की शिनाख्त हो सके. अब पुलिस गाड़ी के चेसिस नम्बर से उसके मालिक की पतासाजी कर रही है. वैसे तो यह ठीक वैसा ही हादसा है जैसा कि रात को अमूमन हो जाया करता है. कोई सड़क पर बैठी गाय पर गाड़ी चढ़ा देता है तो कोई सड़क किनारे खड़े ट्रक से टकरा जाता है. कोई गड्ढे में गाड़ी कुदा कर उसका नियंत्रण खो देता है. अधूरे पुल से गाड़ियों के नीचे जा गिरने की घटनाएं भी होती रहती हैं. पर इस बार इसका दोष गूगल मैप द्वारा दी गई अधूरी जानकारी पर मढ़ा जा रहा है. जब गूगल मैप नहीं था तब लोग सड़क किनारे की टपरियों से रास्ता पूछा करते थे. वहां इंसान बैठा होता था. वह आपको बता सकता था कि आगे रास्ता खराब है. वह बता सकता था कि रास्ता आगे बंद है, कटी हुई है या उसपर जाना जोखिम भरा हो सकता है. गूगल मैप आपको सिर्फ रास्ता बता सकता है. रास्ते पर सुरक्षित ढंग से गाड़ी चलाने की जिम्मेदारी आपकी होती है. ऐसा बहुत कम होता है कि सड़क पर अवरोध अचानक आ जाए. गड्ढा, गाय या ट्रक अचानक सड़क पर नहीं आ जाते. ये काफी देर से वहां होते हैं. बैरिकेडिंग के साथ भी ऐसा ही है. आपकी नजर उनपर अचानक पड़ती है. इसकी एकमात्र वजह यह है कि आपका ध्यान कहीं और होता है. इसलिए आपको चीजें अचानक दिखाई देती हैं. फिर आप हड़बड़ा जाते हैं और ठुक जाते हैं. इसका दोष किसी और पर मढ़ना खुद को बहलाने जैसा है. वह तो अच्छा हुआ कि कार एयरबैग से लैस थी. गाड़ी ठुकी तो एयरबैग खुले और सवारों की जान बच गई.

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