देश दुनिया

खेतों को बंजर बना देगी धान की ये प्रतिबंधित किस्म… पीलीभीत में दुकानदारों पर प्रशासन सख्त, जानें कारण

पीलीभीत : मार्च में आपतौर पर रबी फसलों यानि गेहूं, सरसों की कटाई शुरू हो जाती है, वहीं इन फसलों की कटाई के बाद कई किसान खेतों में साठा धान की बुवाई कर देते हैं. साठा धान भले ही कम समय मे किसानों को अच्छा मुनाफा देती है लेकिन इसकी बुवाई के चलते जलस्तर के घटने के साथ ही साथ जमीन की उर्वरकता कम होने लगती है . इसी के चलते रबी फसलों की कटाई से पहले ही प्रशासन सख्ती के मूड में नजर आ रहा है.गौरतलब है कि साठा धान की फसल 60 दिनों में तैयार हो जाती है. लेकिन इसको तैयार करने के लिए रोजाना पानी की जरूरत पड़ती है. इसलिए किसान लगातार 60 दिनों तक इस फसल में पानी लगाता है. साठा धान की पौध फरवरी में ही किसान लगाना शुरू कर देते है. मार्च में इसकी पौध तैयार हो जाती है. जिसके बाद किसान सरसो, गेंहू काटकर, खेतों में साठा धान की खेती करने लगते हैं.

 

किसान क्यों करते हैं साठा धान की खेती?
आमतौर पर मटर, गेहूं आदि रबी की फसल की कटाई के बाद खरीफ की बुवाई में तकरीबन 2 से 3 महीने का अंतर रहता है. वहीं, इस दौरान धान में आम तौर पर लगने वाली बीमारियां भी नहीं देखने को मिलती हैं. इस वजह से इसमें कम लागत और पैदावार अधिक रहती है. ऐसे में किसान मुनाफे के लिए साठा धान की बुवाई करते हैं. वहीं साठा धान की फसल 60 दिनों में तैयार हो जाती है. इसके बाद तुरंत उसी खेत में दोबारा धान की दूसरी प्रजाति की फसल तैयार कर ली जाती है.आम तौर पर धान की फसल में काफी अधिक सिंचाई की जरूरत होती है. खरीफ सीजन के दौरान तो इस जरूरत को बरसात ही पूरा कर देती है, लेकिन ग्रीष्मकालीन धान के मामले में सिंचाई के लिए ग्राउंड वाटर का उपयोग किया जाता है. ऐसे में जल का अनावश्यक दोहन देखने को मिलता है. वहीं, इस फसल से कृषि भूमि के पोषक तत्वों का शोषण होता है और उसकी उर्वरता भी कम होती है.बीज दुकानदारों पर प्रशासन सख्त
पिछले दशकों में इस फसल के चलते पीलीभीत में भी जलस्तर पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखा गया है. इन्हीं सब कारणों के चलते सरकार की ओर से भी इस पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसी कारण 2025 में रबी की फसल की कटाई से पहले ही प्रशासन अलर्ट मोड पर है. एक तरफ किसानों को साठा की बजाए अन्य विकल्पों की ओर शिफ्ट किया जा रहा है तो वहीं दुकानदारों को भी साठा धान की बिक्री न करने को लेकर सख्त हिदायत दी जा रही है. वहीं जिले के कृषि उप निदेशक नरेन्द्र पाल भी इस मामले को लेकर जागरुकता अभियान व अन्य कवायद कर रहे हैं.

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button