जामनगर जिले के कानपर (लतीपार) गांव के किसान बलदेवभाई खतरानी आज जिले के सबसे प्रगतिशील किसानों में से एक माने जाते हैं. वर्तमान में, वह ध्रोल तालुक के लतीपार गांव में अपने खेत में गुलाब के फूलों की खेती कर रहे हैं और साथ ही मूंगफली, गेहूं, ज्वार और चुकंदर जैसी मिश्रित फसलों का उत्पादन कर रहे हैं. इन फसलों से न सिर्फ उनका जीवन संवर रहा है, बल्कि वह इनसे विभिन्न उत्पादों जैसे गुलकंद, भुक्का और तेल भी बना कर बेचते हैं. हाल ही में, उन्हें “सोशल ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन गुजरात” द्वारा नडियाद में आयोजित एक कार्यक्रम में “बेस्ट इनोवेटिव फार्मर अवार्ड” से सम्मानित किया गया है.
सीमित शिक्षा, लेकिन विशाल विचार
बलदेवभाई खतरानी ने केवल 9 किताबें पढ़ी हैं, फिर भी उन्होंने अपने ज्ञान और मेहनत से एक मिसाल कायम की है. वह 2005 से खेती में लगे हुए थे, लेकिन पहले ज्यादा फायदा नहीं हो रहा था. इसके बाद, उन्होंने यूट्यूब से जैविक खेती के बारे में सीखा और अपने खेतों में फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए मूल्य जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की. पिछले 5 वर्षों में उन्होंने जैविक खेती की ओर रुख किया और अब उनकी 15 बीघे जमीन गौ आधारित कृषि में बदल चुकी है.
“मातृकुपा ऑर्गेनिक फार्म” का सफर
बलदेवभाई के “मातृकुपा ऑर्गेनिक फार्म” में गेहूं, ज्वार और गुलाब का उत्पादन होता है. खास बात यह है कि उनकी गेहूं की फसल दो बार सिंचाई के बाद तैयार होती है और सिर्फ 28 दिनों में ज्वारा तैयार हो जाता है, जिसे 170 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता है. यह आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है और लोग इसे घर पर ही सेवन करते हैं. बलदेवभाई ने गुलाब के फूल भी लगाए हैं, जिनसे वह गुलकंद बनाकर बेचते हैं. उनका ऑर्गेनिक गुलकंद 500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है, और इसका demand सिर्फ गुजरात में ही नहीं, बल्कि कनाडा और इंग्लैंड में भी है.
मूंगफली, तेल और अन्य उत्पाद
बलदेवभाई अपनी फसल से सिर्फ गुलकंद और ज्वारा ही नहीं, बल्कि मूंगफली का तेल भी बनाते और बेचते हैं. मूंगफली के मौसम में वह नारियल तेल भी बेचते हैं. तिल का तेल भी वह 4200 रुपये प्रति डिब्बे के हिसाब से बेचते हैं. इसके अलावा, रवि फसल के मौसम में वह चुकंदर, पालक और जवारा भी बोते हैं. सूखे चुकंदर का गूदा भी वह बेचते हैं. इस तरह, वह अपने खेतों से विभिन्न उत्पादों के जरिए आय अर्जित करते हैं.
कम लागत, अधिक मुनाफा
बलदेवभाई का कहना है कि उनका फार्म साल भर में 30 प्रतिशत मेहनत के बाद गुलाब से गुलकंद बनाकर बेचता है. वहीं, 50 प्रतिशत लागत ज्वारा में आती है. इस तरह, एक विघे जमीन से वह सालभर में 1 लाख से लेकर 15 लाख रुपये तक की कमाई करते हैं, जब उनकी लागत 40 प्रतिशत होती है.