इस साल तुलसी विवाह 12 नवंबर को है. जो लोग तुलसी विवाह का आयोजन करते हैं, उनके दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होती हैं. जिन लोगों के विवाह में देरी होती है, उनकी शादी का योग जल्द बनता है. तुलसी विवाह कराने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है. उस व्यक्ति पर भगवान विष्णु की भी कृपा होती है. तुलसी विवाह कराने के बाद आप माता तुलसी और शालिग्राम की आरती कर सकते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव के अनुसार, 12 नवंबर को तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 7 बजकर 53 मिनट तक है. इस शुभ समय में माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से विधि विधान से कराया जाता है. आइए जानते हैं श्री तुलसी जी और शालिग्राम जी की आरती.
श्री तुलसी जी की आरती
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।। मैय्या जय तुलसी माता।।बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता। मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता। मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता। मैय्या जय तुलसी माता।।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।।
शालिग्राम जी की आरती
शालिग्राम सुनो विनती मेरी।यह वरदान दयाकर पाऊं।।
प्रात: समय उठी मंजन करके।प्रेम सहित स्नान कराऊँ।।
चन्दन धूप दीप तुलसीदल।वरन-वरण के पुष्प चढ़ाऊँ।।
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित।प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं।।
चरण धोय चरणामृत लेकर।कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं।।
जो कुछ रुखा सूखा घर में।भोग लगाकर भोजन पाऊं।।
मन वचन कर्म से पाप किये।जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ।।
ऐसी कृपा करो मुझ पर।जम के द्वारे जाने न पाऊं।।
माधोदास की विनती यही है।हरी दासन को दास कहाऊं।।