रायपुर। संचालक लोक शिक्षण याने डीपीआई दिव्या मिश्रा करीब महीने भर की ट्रेनिंग के लिए लाल बहादु शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी गई है। 30 दिसंबर तक उनकी ट्रेनिंग चलेगी। उसके बाद ही वे लौटेंगी।
स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देश पर अपर संचालक योगेश शिवहरे को डीपीआई का प्रभार दिया गया है। शिवहरे फाइलों को देख भी रहे हैं।
मगर प्रभारी की अपनी सीमाएं होती हैं। नीतिगत मामलों पर उन्हें अधिकार नहीं होता और कोई उसमें हाथ डालना चाहता नहीं। प्रभारी अधिकारी बेहद आवश्यक प्रकरणों को ही निबटाते हैं। इस वजह से डीपीआई में फाइलों की ढेर लगती जा रही हैं।
शिक्षकों के कई मामले लंबे समय से लंबित हैं। जाहिर है, स्कूल शिक्षा संचालनालय प्रदेश का पहला डायरेक्ट्रेट होगा, जिसमें सबसे अधिक फाइलें आती हैं।
स्कूल शिक्षा में करीब पौने दो लाख शिक्षक और कर्मचारी हैं। किसी भी राज्य में यह सबसे बड़ा विभाग माना जाता है। हर गांव या एक गांव को छोडकर एकाध स्कूल होते ही हैं। सो, शिक्षकों की संख्या काफी होती हैं।
अब मैनपावर की संख्या अधिक है तो स्वाभाविक है कि उनके मामले भी अधिक होंगे। शिक्षकों के ट्रांसफर लेकर पेंशन, ग्रेच्यूटी, अवकाश, कार्रवाइयों के रोज करीब 500 आवेदन रोज डीपीआई पहुंचते हैं।
यही वजह है कि डीपीआई के पास सांस लेने के लिए फुरसत नहीं रहता। चूकि बड़ा सेटअप है, इसलिए सबसे अधिक राजनीतिक एप्रोच, हस्तक्षेप भी इस विभाग में आते हैं। शिक्षक नेताओं को भी उन्हें संतुष्ट करना पड़ता है। ऐसे में, डीपीआई के ट्रेनिंग पर होने से फाइलों की संख्या बढ़ती जा रही है।