देश दुनिया

ये किसान सात समंदर पार की सब्जियां यहां उगा रहा…एक बार में ही हो जाता ये कमाल

भावनगर जिले के किसान अब अपनी पारंपरिक खेती से जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. राज्यपाल द्वारा प्राकृतिक खेती को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, क्योंकि इस विधि से न केवल रासायनिक खेती की तुलना में लागत कम आती है, बल्कि उत्पादन भी अच्छा होता है. इसके अलावा, प्राकृतिक खेती से तैयार फलों और सब्जियों की मांग भी बढ़ रही है.

विदेशी सब्जियों की खेती में सफलता
भावनगर तालुक के ववाडी (राजगोर) गांव के एक किसान, जो पिछले आठ वर्षों से जैविक खेती कर रहे हैं, ने विदेशी सब्जियों की खेती में सफलता पाई है. वे लाल गोभी, गांठ गोभी और ब्रोकोली जैसी विदेशी सब्जियां उगाते हैं और इन्हें भावनगर और अहमदाबाद में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं.जैविक खेती से परिचय और शुरुआत
ववाडी गांव के किसान जेन्तीभाई चौहान को आठ साल पहले आत्मा परियोजना के अधिकारियों और एक बागवानी सेमिनार के जरिए जैविक खेती से परिचित कराया गया था. इसके बाद, उन्होंने प्राकृतिक खेती शुरू की और आज वे इस क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं.

उत्पादन में वृद्धि और प्राकृतिक खेती के लाभ
जेन्तीभाई बताते हैं, “प्राकृतिक खेती के जरिए हम हर साल एक ही समय में कई फसलें ले रहे हैं. गौ आधारित कृषि में गाय के गोबर, गौमूत्र, जीवामृत और पंचामृत का मिश्रण बनाकर फसलों पर छिड़काव किया जाता है, जिससे उत्पादन बेहतर होता है.” वे इस उत्पाद को अहमदाबाद में ‘मीठी वीरदी’ प्राकृतिक समूह और भावनगर के अमृत बाजार में बेचते हैं.

सरकारी सहायता और किसान मार्गदर्शन
जेन्तीभाई कहते हैं, “बागवानी विभाग, आत्मा परियोजना और कृषि विभाग के अधिकारी नियमित रूप से हमारे खेतों पर आते हैं और जैविक खेती से संबंधित समस्याओं का समाधान करते हैं.” इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि पिछले आठ वर्षों में कई अन्य किसानों ने भी उनके फार्म का दौरा किया है, और उनके मार्गदर्शन से लाखों की आय अर्जित की है

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button