डॉक्टर्स के मुताबिक, बच्चा अपनी मां के गर्भ में ही Encephalocele नाम की बीमारी की चपेट में आ गया था. यह रेयरेस्ट बीमारी करोड़ों में किसी एक बच्चे को होती है. इसका ऑपरेशन बेहद जटिल होता है और पीड़ित बच्चे के बचने की गुंजाइश बहुत कम होती है. यूपी के फतेहपुर में एक महिला ने बच्चे ने जन्म लिया. तीन बेटियों के बाद बेटे के जन्म की खबर पाकर परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि बेटे के दो सिर हैं तो उनके होश उड़ गए और वे मायूस हो गए. स्थानीय डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को लाइलाज बीमारी है. मां-बाप ने काफी हाथ-पैर मारा लेकिन बेटे के सिर का इलाज नहीं हुआ. इस बीच किसी के बताने पर परिजन उसे लेकर प्रयागराज के डॉक्टर के पास पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने ‘चमत्कार’ कर दिया.
दरअसल, प्रयागराज के डॉक्टर्स की टीम ने बेहद जटिल ऑपरेशन के बाद बच्चे के एक सिर को अलग निकालकर उसे पूरी तरह ठीक कर दिया है. ऑपरेशन के 11 दिन बाद बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ और सामान्य है. उसे आज अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. ऐसे में मां-बाप के साथ पूरा परिवार प्रसन्न है और डॉक्टरों को धन्यवाद दे रहा है.
डॉक्टर्स के मुताबिक, बच्चा अपनी मां के गर्भ में ही एन्सेफेलोसिल नाम की बीमारी की चपेट में आ गया था. यह रेयरेस्ट बीमारी करोड़ों में किसी एक बच्चे को होती है. इसका ऑपरेशन बेहद जटिल होता है और पीड़ित बच्चे के बचने की गुंजाइश बहुत कम होती है. आपको बता दें कि महज 21 दिन के इस बच्चे का बेहद जटिल ऑपरेशन प्रयागराज के नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के सर्जन डॉक्टर राजीव सिंह और तीन अन्य डॉक्टर्स की टीम ने किया. इसमें करीब साढ़े चार घंटे का समय लगा. बच्चे के सफल ऑपरेशन को डॉक्टर्स की टीम अब गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की तैयारी में है. ऑपरेशन के जरिए एक सिर अलग होने के बाद बच्चा अब आगे की जिंदगी सामान्य तौर पर जी सकेगा. बच्चे के स्वस्थ और सामान्य होने पर परिवार वालों ने अस्पताल में ही नामकरण करते हुए उसे ‘वैभव’ नाम दिया है.
आपको बता दें कि फतेहपुर जिले की खागा तहसील के पवन कुमार की तीन बेटियां हैं. पूरा परिवार वंश आगे बढ़ाने के लिए एक बेटे की चाहत रखे हुआ था. उनकी पत्नी रचना ने पिछले महीने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेटे को जन्म दिया तो पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहे. परिवार ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था. मिठाइयां बांटनी शुरू कर दी, लेकिन कुछ देर बाद ही जब उन्हें यह पता चला कि बच्चे के दो सिर हैं और वह तकरीबन लाइलाज समझी जाने वाली एन्सेफेलोसिल नाम की बीमारी से ग्रसित है तो वे मायूस हो गए. परिवार के लोगों ने फतेहपुर और कानपुर से लेकर कई शहरों के बड़े अस्पतालों और डॉक्टर्स से संपर्क किया, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए.
परिवार के लोग ना उम्मीद होकर घर आ गए और अनहोनी का इंतजार करने लगे. इस बीच उन्हें किसी ने जानकारी दी कि प्रयागराज के नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के संचालक और नामचीन सर्जन डॉक्टर राजीव सिंह साल 2007 में इस तरह का एक सफल ऑपरेशन कर चुके हैं. परिवार वाले उनके पास पहुंचे तो उन्होंने न्यूरोसर्जन, पीडियाट्रिक व अन्य डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम बनाकर तीन दिन तक बच्चे की देखरेख की और उसके बाद 2 दिसंबर को ऑपरेशन किया.
21 दिन के बच्चे का ऑपरेशन साढ़े चार घंटे चला. ऑपरेशन में गर्दन के पास से जुड़े हुए दूसरे सिर को अलग कर दिया गया. दूसरे सिर में भी आंख और नाक उभर रही थी. बहरहाल, बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है. सफल ऑपरेशन के बावजूद उसे 11 दिनों तक अस्पताल में निगरानी में रखा गया और आज उसे छुट्टी दी गई. बच्चे का सफल ऑपरेशन होने के बाद उसकी मां रचना और परिवार के दूसरे सदस्य बेहद खुश हैं.
परिवार के लोग डॉक्टर राजीव सिंह और उनकी टीम की जमकर तारीफ कर रहे हैं और उन्हें धरती का भगवान बताते हुए दुआएं दे रहे हैं. बच्चे का ऑपरेशन करने वाले प्रयागराज के सीनियर सर्जन डा० राजीव सिंह के अनुसार, बच्चों की उम्र में 21 दिन होने की वजह से ऑपरेशन बेहद मुश्किल था. पहले तो उनकी टीम के डॉक्टर्स ने भी हाथ खड़े कर दिए थे, लेकिन परिवार वालों ने जिस तरह से बच्चे की जिंदगी उनके हाथ सौंप दी थी, उसके बाद उन्होंने अपना पूरा अनुभव झोंकने का फैसला लिया.
ऑपरेशन में डा० राजीव सिंह के साथ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जे के सिंह, न्यूरोसर्जन डॉ. नितेश सिंह और डॉक्टर पुष्कर की भी बेहद अहम भूमिका रही. डॉक्टर्स के मुताबिक दो सिर के साथ एन्सेफेलोसिल की बीमारी और इसका इलाज दोनों ही रेयरेस्ट होता है.