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सावित्रीपुर स्कूल में सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया गया(छात्र छात्राओं ने भारतीय सेना के पराक्रम के बारे में जाना)

सावित्रीपुर स्कूल में सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया गया(छात्र छात्राओं ने भारतीय सेना के पराक्रम के बारे में जाना)… सांकरा, जोंक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सावित्रीपुर में 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया गया।इस अवसर पर छात्र छात्राओं ने भारतीय सेना के पराक्रम के बारे में जाना।सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए संस्था के प्राचार्य पी सिदार सर ने कहा कि भारत के लिए आज गौरवपूर्ण दिन है। 7 दिसंबर को भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है ।देश की सीमा की सुरक्षा तीन सेनाएं कर रही है।जमीन मार्ग पर थल सेना मुस्तैद है तो वही आसमान पर वायु सेना निगरानी करती है। भारत के समुद्री मार्गों और सीमा को सुरक्षित रखने के लिए देश की नौ सेना तत्पर है। यह खास दिन थल सेना,नौसेना,वायु सेना के जवानों के कल्याण के लिए मनाते हैं और देश की सेना को सम्मानित करते हैं।भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने की शुरुआत आजादी के बाद से हुई ।1949 में पहली बार यह दिन मनाया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ व्याख्याता निर्मल साहू सर ने कहा कि सशस्त्र सेना झंडा दिवस भारत के प्रत्येक सैनिक और देश के लिए जान न्योछावर करने वाले वीर शहीदों का सम्मान का दिन होता है ।जो 7 दिसंबर 1949 से हर साल मनाया जाता है। भारतीय सशस्त्र सेना बलों के कर्मियों के कल्याण के लिए भारत की जनता से धन जमा करने के प्रति समर्पित एक दिन है ।इस दिन शहीदों और वीर सेनानियों के उन लोगों को सम्मानित किया जाता है।जिन्होंने देश की रक्षा के लिए दुश्मनों का मुकाबला किया और अपना सब कुछ देश के नाम कर दिया।सशस्त्र सेना झंडा दिवस देश के नाम अपना जीवन करने वाले दिव्यांग पूर्व सैनिकों, युद्ध में वीरगति प्राप्त किए सैनिकों की विधवाओं, शहीदों के परिवार जनों की देखभाल करने के लिए मदद सुनिश्चित करता है और उनके प्रति हमारे प्रतिबद्धता और सम्मान का प्रतीक है। इस अवसर पर व्याख्याता सिंह सर ने कहा कि राष्ट्र की एकता एवं अखंडता को कायम रखने के लिए जिन सैनिकों ने अपने प्राणों को देशहित में न्योछावर कर दिया एवं जो सेवारत सैनिक अपने स्वर्णिम दिन देश के लिए अर्पित कर रहे हैं, उन सैनिकों के परिवारों एवं उनके आश्रितों के लिए अपना पूर्ण सहयोग दें ।ताकि उनका मनोबल ऊंचा रहे एवं देश की रक्षा सुदृढ़ कर सके।एन के जलछत्री सर ने कहा कि भारतीय सेना के वीर सिपाहियों का मनोबल हमेशा की भांति एवरेस्ट के समान ऊंचा है।व्यावसायिक दक्षता में भारतीय सशस्त्र सेनाओं की गणना विश्व की श्रेष्ठतम सेनाओं में की जाती है।झंडा दिवस पर देश के नागरिकों द्वारा दिए जाने वाला योगदान कई मायनों में महत्वपूर्ण है यह देश की सवा अरब नागरिकों द्वारा अपने सैनिकों के प्रति समर्थन एवं विश्वास का प्रतीक है। गणतंत्र दिवस की परेड एवं ऐसे अन्य आयोजनों में वर्दी में सजे धजे नौजवानों और तकनीकी रूप से समृद्ध सेनाओं के पराक्रम के दृश्यों को देखकर भारतवासियों का सीना गर्व से तन जाता है ।अपनी मातृभूमि के लिए मर मिटने का जज्बा,अनुशासन और कर्त्तव्यपरायणता की भावनाओं से ओतप्रोत हमारी सेनाओं का धर्म निस्वार्थ रूप से की जाने वाली देश सेवा है,जिनके पालन में वह अपना सर्वस्व समर्पित कर देते है ।ईडी हेड बीडी साहू सर ने कहा कि हर साल 7 दिसंबर को भारत सशस्त्र सेना के कर्मचारियों के कल्याण के लिए दान जुटाने के लिए सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाता है। यह दिन भारतीय सैनिकों,नाविको,पायलटो के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिन उन सैकड़ो हजारों पुरुषों को भी श्रद्धांजलि देता है जो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए हैं ।इस अवसर पर संकुल समन्वयक पीएल चौधरी सर ने कहा कि जाड़े में मखमली लिहाफ में नींद लेते हुए कभी अपने अचेतन मस्तिष्क को बताइए कि भारत की एलओसी की अग्रिम चोटियों पर 50000 से अधिक जवान तैनात हैं ।वहां हिमचोटियों का तापमान -40 डिग्री सेंटीग्रेड है और ऑक्सीजन इतनी कम की सोचने समझने की क्षमता आधी रह जाए। शीघ्र ही आप इस निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे कि सशस्त्र सेना जुनून और जीवन पद्धति है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने न केवल कई सीधे युद्ध जीते,बल्कि संयुक्त राष्ट्र ऑपरेशनों,आपदा राहत आदि में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।देश की सीमाओं पर तैनात हर सिपाही का एक ही लक्ष्य है अपना सर्वोच्च समर्पित कर देश को दुश्मनों की बुरी नजर से बचाना।उनके हर बलिदान को सम्मान देने के लिहाज़ से प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है ।इस अवसर मिडिल स्कूल हेडमास्टर एस एल पटेल सर ने कहा की सैनिकों के शौर्य की बहुरंगी कथा को सुखांत देने की उद्देश्य से 1949 में तत्कालीन रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई और प्रत्येक वर्ष 7 सितंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने का निर्णय लिया। भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वसन तथा युद्ध में वीरगति प्राप्त योद्धाओं के कल्याण हेतु आयोजित इस झंडा दिवस पर पूरे देश से परोपकारी निधि में दान प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। एस एन ध्रुव सर ने कहा कि सशस्त्र सेना झंडा दिवस थल सेना,नौसेना और वायु सेवा पर गर्व करने का दिन है उन्हें आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से संबल देने का पर्व है।इस अवसर पर डीके भारती सर ने सेनाओं को नमन करते हुए कहा सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर मैं भारत की सेनाओं के शौर्य,पराक्रम और बलिदान को नमन करता हूं ।इस अवसर श्रीमती सविता जलछत्री मैडम,उत्तम भोई सर,टीआर यादव सर ,प्रवीण साहू सर,जयंती सागर मैडम मौजूद थे।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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