वायुमंडल में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और हीलियम सहित अन्य कई गैस पाई जाती हैं. इसके अलावा भारी मात्रा में नाइट्रोजन भी पाया जाता है. ऑक्सीजन मानव जीवन के लिए सबसे जरूरी है जबकि पौधों की अच्छी ग्रोथ के लिए नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है. लेकिन वायुमंडल में नाइट्रोजन मौजूद होने के बावजूद भी पौधे इसे ग्रहण नहीं कर पाते, लेकिन उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा जैविक उत्पाद तैयार किया है जो वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को पौधों के ग्रहण करने के लिए तैयार करता है उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि एजोटोबेक्टर को खेतों में डालने से यूरिया के निर्भरता कम हो जाएगी. उन्होंने बताया कि वायुमंडल में करीब 78% नाइट्रोजन मौजूद है. एजोटोबैक्टर वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके पौधों को ग्रहण करने में मदद करता है. जिससे पौधे तेजी से ग्रो करते हैं और किसान को अलग से नाइट्रोजन का छिड़काव नहीं करना पड़ता. गौरतलब है कि फलीदार परिवा के पौधों जैसे क्लोवर (दूब), सोयाबीन, अल्फा-अल्फा, ल्यूपिन, मूंगफली, मटर, चना, बीन और रूइबोस आदि शामिल हैं आदि में ही नाइट्रोजन स्थिरीकरण होता है. इन पौधों में राइजोबियम नाम का जीवाणु होता है जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक होता है.कैसे करें एजोटोबैक्टर का प्रयोग?
डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि किसी भी फसल की बुवाई करने से पहले जब अंतिम जुताई की जाती है. उस वक्त एजोटोबैक्टर को सड़ी हुई गोबर की खाद या फिर मिट्टी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर देना है और फिर खेत को जोत कर उस पर पाटा लगाकर फसल की बुवाई के लिए तैयार किया जाता है. इस दौरान एजोटोबैक्टर 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डाला जाएगा. इस दौरान सावधानी यह रखनी है कि एजोटोबैक्टर के साथ किसी भी रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करना है मात्र इतनी है कीमत
डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि अगर कोई भी किसान एजोटोबैक्टर खरीदना चाहता है तो वह उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर आकर अपने खेत के रकबे की जानकारी देकर एजोटोबैक्टर खरीद सकता है. एजोटोबैक्टर की कीमत 50 रूपए प्रति किलो निर्धारित की गई है

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