दारुहरिद्रा को इंडियन बारबेरी, ट्री टरमेरिक या दारू हल्दी भी कहा जाता है. इसका वानस्पतिक नाम बर्बेरिस एरिस्टाटा है. यह एक औषधीय जड़ी-बूटी है और बार्बरीदासी परिवार से संबंधित है. इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में लंबे समय से किया जाता रहा है. इसके अधिकतर पौधे हिमालय, भूटान, श्रीलंका और नेपाल के पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं. यह हिमालय क्षेत्र में 2000 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर उगता है.इसका फल खाने योग्य होता है और विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है. दारुहरिद्रा मुख्य रूप से सूजन और सोरायसिस जैसी स्किन प्रोब्लेम्स के लिए फायदेमंद हैयह लीवर की सेल्स को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से भी बचाता है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं. इसका इस्तेमाल मलेरिया के मैनेजमेंट के लिए भी किया जाता है क्योंकि यह अपने एंटी मलेरिया गुण के कारण मलेरिया परजीवी के विकास को रोकता है. यह दस्त के लिए भी अनुशंसित है क्योंकि यह अपनी एंटीमाइक्रोबियल गतिविधि के कारण दस्त के लिए जिम्मेदार माइक्रोआर्गेनिज्म के विकास को रोकता है.आप दारुहरिद्रा पाउडर को शहद या दूध के साथ ले सकते हैं जो दस्त और मासिक धर्म के रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है. आप दिन में दो बार 1-2 दारुहरिद्रा की गोलियां या कैप्सूल भी ले सकते हैं जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं.
दारुहरिद्रा का उपयोग कैसे करें
दारुहरिद्रा चूर्ण
दारुहरिद्रा कैप्सूल
दारुहरिद्रा क्वाथ ले सकते हैं
बारबेरी के बारे में कुछ और बातें
बारबेरी को यूरोप और एशिया से उत्तरी अमेरिका लाया गया था.
बारबेरी को औषधीय रूप से 2,500 से अधिक सालों से उपयोग किया जाता रहा है.
बारबेरी में कम कैलोरी होते है. इसमें विटामिन और मिनरल्स अधिक मात्रा में होते हैं
(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.