छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के 16 शिक्षक संगठनों ने आगामी हड़ताल को लेकर लिया बड़ा निर्णय

छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की संख्या ढाई लाख है और इन ढाई लाख शिक्षकों का प्रतिनिधित्व अलग-अलग संगठन करते हैं ऐसे में शिक्षकों की एकजुटता को लेकर आम शिक्षक सदैव आवाज उठाते रहते हैं और इसी को देखते हुए प्रदेश के 16 संगठन एक साथ एक मंच पर आ गए हैं और सभी संगठनों के प्रांत अध्यक्षों ने वर्चुअल बैठक में शामिल होकर विभिन्न प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित किया है जिसमें प्रमुख रूप से यह निर्णय लिया गया है कि शिक्षकों की पूर्व सेवा गणना करते हुए क्रमोन्नति वेतनमान प्रदान करने और सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर परिणाममूलक हड़ताल किया जाएगा और इसके लिए यह तय किया गया है कि सभी संगठनों को एकजुट करके ही अब शिक्षक हड़ताल में उतरेंगे इससे पहले किसी भी हड़ताल का वह हिस्सा नहीं बनेंगे ।शिक्षक संगठनों का कहना है कि पूर्व सेवा गणना न होने से शिक्षकों के खाते में ऐसे ही अवकाश कम है और जो शिक्षकों की प्रमुख मांग है वह एक दिन के हड़ताल से पूरी होने वाली नहीं है और ना ही आधे अधूरे संघर्ष से कुछ हासिल होना है ऐसे में प्रदेश के शिक्षकों को केवल दिखावे के लिए किसी हड़ताल में झोकना और उनके अवकाश को खत्म करना कहीं से भी सही नहीं है । इसके अतिरिक्त मीडिया में लगातार आ रहे फर्जी नियुक्ति और अन्य मामलों पर चर्चा के दौरान सभी संगठनों का कहना है कि फर्जी नियुक्ति चाहे किसी भी प्रकार की हो उसे पर सरकार और अधिकारी कड़ी कार्रवाई करें लेकिन कुछ लोगों की आड़ में पूरे शिक्षक समाज को बदनाम न किया जाए , शिक्षा विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे कारनामों को अंजाम दिया गया है जिससे आम शिक्षकों का कोई लेना देना नहीं है ऐसे में पूरे शिक्षक समाज को अनावश्यक कटघरे में खड़ा करना उचित नहीं है जो भी शिक्षक किसी भी प्रकार के गलत कृत्य में संलिप्त पाया जा रहा है तो विभाग मामले की जांच कर कर दोषी पाए जाने पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें ।कोरबा में सोशल मीडिया में पोस्ट कर निलंबित हुए शिक्षक नित्यानंद यादव जो की संयुक्त शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष भी है के मुद्दे को लेकर संगठनों का कहना है कि सोशल मीडिया में नाराजगी व्यक्त करने को लेकर जिस प्रकार की कार्रवाई डीपीआई द्वारा की गई है वह अनुचित है , गंभीर मुद्दों की अनदेखी कर अधिकारी द्वारा छोटे मुद्दों पर संगठन के पदाधिकारी को टारगेट करना यह बताता है कि पूरी कोशिश शिक्षक संगठनों की आवाज को दबाने की है जबकि इस मुद्दे को लेकर जिला अध्यक्ष ने अपना स्पष्टीकरण भी जिला शिक्षा अधिकारी को सौंप दिया गया था बावजूद इसके इस पर इस प्रकार कार्रवाई की गई है मानो शिक्षक ने कोई गंभीर अपराध कर दिया हो वहीं गंभीर मामलों में विभाग के अधिकारियों द्वारा दोषियों को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है जो की पूर्णतया अनुचित और शिक्षक समाज की छवि को खराब करने वाला कृत्य है ।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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