कवर्धा छत्तीसगढ़ /जिला अस्पताल में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के मामले में नेत्र सहायक डॉ मनीष जॉय को दोषी पाया गया है। इस पर संचालक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने अपने पत्र के अनुसार जिला अस्पताल कवर्धा में मेडिकल जांच कर मेडिकल
प्रमाण पत्र जारी करने में फर्जीवाड़ा में दोषी अधिकारी कर्मचारी की विरुद्ध कार्यवाही हेतु प्राप्त जांच पर प्रतिवेदन में दिए गए निष्कर्ष अनुसार डॉ मनीष जॉय नेत्र सहायक जिला चिकित्सालय कबीरधाम को गलत मेडिकल प्रमाण पत्र जारी किए जाने में दोषी पाए हैं अतः डॉ मनीष जाय नेत्र सहायक जिला चिकित्सालय कबीरधाम के द्वारा किया गया यह कृत्य गंभीर प्रवृत्ति का है सिविल सेवा आचरण नियम 1966 के तहत निलंबन की कार्यवाही करते हुए विभागीय जांच कर प्राथमिक की रिपोर्ट दर्ज कराते का निर्देश संयुक्त संचालक को आदेश दिए हैं। लंबे जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है।
जानकारी के मुताबिक दो साल पहले फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट से दो युवकों ने पुलिस विभाग में नौकरी हासिल किया था। फर्जीवाड़े की बात सामने आई, तो आरक्षकों को दिए गए मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच शुरू हुई। मामले की जांच कमेटी ने फर्जी सर्टिफिकेट की शिकायत सही पाई।
यही नहीं, मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र में कूटरचना किया जाना और अपात्र अभ्यर्थियों को सर्टिफिकेट देने में लापरवाही बरतने का दोषी पाया पाया।
विवादों से हमेशा नाता रहा है नेत्र सहायक अधिकारी संघ का प्रदेश अध्यक्ष नेत्र सहायक डॉ मनीष जॉय का कुछ वर्ष पूर्व चश्मा दुकान संचालकों ने कलेक्टर को यह शिकायत की थी कि डॉ मनीष जॉय नेत्र सहायक जिला चिकित्सालय में नेत्र जांच कर कोट रोड में अपनी दुकान जाय चश्मा घर में मरीजों को दबाव पूर्वक चश्मा बनाने के लिए दबाव बनाया जाता है एवं अन्य दुकान से चश्मा में बनाने पर चश्मा गलत बना है कर के अपनी दुकान से चश्मा बनने का दवाब बनाया जाता है
परंतु अपने पद का फायदा उठा कर अधिकारी से सेटिंग कर मामले को दबा दिया गया था
अपनी ही दुकान में चश्मा बनाने दबाव बनाता है नेत्र सहायक अधिकारी मनीष जॉय,शासकीय पद का कर रहा दुरूपयोग
कलेक्टर के आदेश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक को दिया जांच का आदेश
जांच आदेश के जाने के बाद भी नही आया जांच का परिणाम
कवर्धा: किसी न किसी गड़बड़ी को लेकर आए दिन चर्चा में रहने वाला जिला चिकित्सालय इस बार यहां पदस्थ नेत्र सहायक अधिकारी मनीष जॉय की हरकत को लेकर कुख्याति बटोर रहा है. नेत्र सहायक अधिकारी ने जिला चिकित्सालय से लगी हुई ही चश्मा दुकान खोल रखी है जहां उसके लोग चश्मा बेचते है. चश्मा व्यापारी संघ के द्वारा लगाये आरोपों के अनुसार उक्त अधिकारी जिला चिकित्सालय में आने वाले नेत्र रोग से पीडि़त मरीजों को इस बात के लिए दबाव डालता है कि उसके ही दुकान में चश्मा बनवाया और खरीदा जाय.
इस संबंध में चश्मा व्यापारी संघ के द्वारा कलेक्टर से शिकायत की गई है कि जिला चिकित्सालय में नेत्र सहायक अधिकारी के पद पर पदस्थ मनीष जॉय मरीजों पर दबाव डालकर अपनी ही दुकान से चश्मा बनाने बाध्य करता है. नेत्र रोगी कहीं और से चश्मा बनवा कर दिखाता है तो उसे गलत बना है कहकर भ्रमित करता है . अधिकारी की इस हरकत के चलते मरीजों को दोबारा उन्ही की दुकान में चश्मा बनवाना पड़ता है. इसके अलावा चश्मा व्यापारी संघ ने यह भी आरोप लगाया है कि उक्त नेत्र सहायक अधिकारी को सही ढंग से नेत्र जांच करना भी नही आता है.
हीरो जुड़वा भाई के काले कारनामे दोनों जुड़वा भाई नेत्र सहायक मनीष जय एवं विष जय मनीष जय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पंडरिया में ओटी टेक्नीशियन के रूप में पदस्थ है जो की जॉय चश्मा दुकान का संचालक है सरकारी नौकरी होने के बावजूद भी चश्मा दुकान संचालित करता है इसके पूर्व भी विनीश जॉय के कारनामों के कारण उसे मेडिकल कॉलेज बिलासपुर से बर्खास्त किया गया था दोनों भाई की अच्छी राजनीतिक पकड़ के कारण हमेशा अधिकारियों को दबाव बनाने में सफल होते हैं
उक्त शिकायत पर कार्यवाही करते हुए कलेक्टर द्वारा मामले की जांच समय सीमा के भीतर करने का आदेश जारी किया गया था जिसके परिपालन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक को इस मामले की जांच का आदेश दिया गया था इस संबंध में बीत जाने के बाद भी जांच का परिणाम सामने नही आया है . कछुआ गति से जांच से जांच में आंच की आशंका व्यक्त की जा रही है.