सेहत

अगर शुगर सामान्य हो जाए तो क्या दवा बंद की जा सकती है? जानिए प्रसिद्ध जनरल फिजिशियन का जवाब –

हैदराबाद:डायबिटीज से पीड़ित कुछ लोगों का शुगर लेवल जब सामान्य हो जाता है तो वे यह सोचकर दवा लेना बंद कर देते हैं कि अब सब कुछ ठीक है. दवा लेने की जरूरत नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शुगर लेवल कंट्रोल हो जाने पर दवा लेना बंद कर देना चाहिए ? क्या डायबिटीज पीड़ितों के लिए बीच में ही दवा छोड़ देना सही है? इस सवाल का जवाब देते हुए प्रसिद्ध जनरल फिजिशियन ‘डॉ. श्रीनिवास’ ने बड़ी बात कही, उन्होंने कहा कि दवाइयों के सेवन से ही शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है. यदि मधुमेह से पीड़ित कोई व्यक्ति बीच में ही दवाएं लेना बंद कर देता है तो उसका ब्लड शुगर लेवल निश्चित रूप से बढ़ जाएगा. जो कि सही नहीं है.

यह हमारी गलती है!
‘डॉ. श्रीनिवास’ ने आगे कहा कि दवा से लगभग सभी डायबिटीज रोगियों में ग्लूकोज का लेवल नियंत्रण में रहता है. कुछ लोग सोचते हैं कि अब शुगर लेवल कंट्रोल में है, तो दवा लेने की जरूरत नहीं है. यदि शुगर लेवल कंट्रोल में होने के बावजूद ज्यादा दिनों तक दवाइयों का सेवन किये तो मधुमेह दोबारा हो सकता है. इस तरह के कई सवाल इस बीमारी से पीड़ित लोगों के मन में उठता रहता है. लेकिन डॉ. श्रीनिवास का कहना है कि डायबिटीज रिवर्सल बहुत कम लोगों में होता है. वह भी निदान के प्रारंभिक वर्षों में. अच्छी जीवनशैली अपनाना, वजन कम करना और हर दिन दवाएं लेने से शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है, लेकिन यह कहना और यह सोचना हमारी गलती है कि शुगर लेवल कंट्रोल में है या कम हो गया है तो दवा का सेवन जरूरी नहीं है.

दवा बीच में मत रोकें
कुछ शुगर पीड़ित भले ही कितनी भी स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां बरत लें, लेकिन दवा लेने से ही उनका शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है. हालांकि, ऐसे लोगों को किसी भी हालत में बीच में दवा लेना बंद नहीं करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि दवा बंद करने पर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

यदि आप दवा बंद कर दें तो क्या होगा?
मधुमेह से पीड़ित अधिकांश लोगों को ग्लूकोज नियंत्रण में कोई समस्या नहीं होती है. इससे उन्हें लगता है कि वे पहले की तरह स्वस्थ हैं. लेकिन, ये बहुत बड़ी गलती है. यदि डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा एक बार मौजूद होने पर बंद कर दी जाए तो ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ सकता है. इससे संक्रमण और रक्त में एसिड बनने (डायबिटिक कीटोएसिडोसिस) का खतरा बढ़ जाता है.

मधुमेह एक साइलेंट किलर बीमारी है. भले ही आपको कोई लक्षण नजर न आए, लेकिन इसका असर सभी अंगों पर पड़ता है. विशेष रूप से, दृष्टि हानि, गुर्दे की विफलता और पैर के अल्सर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आती है. कुछ लोगों में पैरों पर घाव ठीक न होने पर उसे निकालने की स्थिति देखी जाती है. ऐसी समस्याओं का पता चलने से पहले ही नुकसान हो सकता है. इसलिए, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि मधुमेह पीड़ितों को डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं जरूर लेनी चाहिए.

(नोट: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. इनका पालन करने से पहले अपने निजी डॉक्टर की सलाह लेना सबसे अच्छा है.)

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button