मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में सक्रिय नक्सली दलों ने भर्ती का नया सिस्टम डेवलप कर लिया है। पहले युवाओं पर फोकस कर उनका ब्रेनवॉश किया जाता था, लेकिन अब बच्चों पर उनकी नजर गड़ी है। नतीजतन नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले परिवार बेटियों की शादी कम उम्र में ही करने लगे हैं।ये खुलासा 5 सितंबर को बालाघाट में गिरफ्तार 14 लाख रुपए की इनामी नक्सली साजंती ने पुलिस पूछताछ में किया है। साजंती ने बताया कि उसे भी 19 साल की उम्र में अगवा किया गया था। माता-पिता से महरूम दो बेटी और एक बेटे के परिवार की बड़ी बेटी साजंती को वर्ष 2011 में नक्सली घर से अपने साथ उठा ले गए थे। नक्सलियों के इस नए भर्ती सिस्टम और इसके असर पर पढ़िए ये रिपोर्ट…
साल 2011 में भर्ती हुई, 2016 में एसीएम बनी
साल 2011 में ही साजंती की नक्सली ट्रेनिंग शुरू हो गई। खास रणनीति के तहत 2015 में टीम प्रभारी जोन समन्वयक नक्सली गणेश से उसकी शादी करवा दी गई। इसके बाद शुरू हुआ हार्डकोर ट्रेनिंग का सिलसिला। छत्तीसगढ़ में सरेंडर कर चुके नक्सली ट्रेनर पहाड़ सिंह ने उसे हमला और बचाव के गुर सिखाए।
ट्रेनिंग पूरी कर साजंती 2016 में एमएमसी जोन में केबी डिवीजन के खटिया मोचा दलम में शामिल हो गई। यहां उसके अनुभव को देखते हुए एरिया कमेटी मेंबर (एसीएम) बना दिया गया। इसके बाद से ही वह कान्हा-भोरमदेव कमेटी में बतौर सक्रिय नक्सली काम कर रही थी। यह कमेटी भैंसानघाट और सूपखार के बीच नक्सली वारदातों में सक्रिय है।
पति के एनकाउंटर के बाद जाना चाहती थी घर
पुलिस महानिरीक्षक संजय कुमार ने कहा, ’30 नवंबर 2022 को बालाघाट के जामसेहरा के जंगल में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबल के जवानों ने साजंती के पति नक्सली गणेश को मार गिराया। पति के गम में डूबी साजंती ने कई बार घर जाने का प्रयास किया, लेकिन नक्सली उसे घर नहीं जाने देते थे।
उन्हें डर था कि परिवार के दोबारा संपर्क में आने के बाद साजंती नक्सल गतिविधियों से दूर हो जाएगी।’
साजंती पर हत्या, हत्या के प्रयास समेत 6 केस
5 सितंबर की रात 10.30 से 11 बजे के बीच बैहर थाना क्षेत्र के चिचरंगपुर जंगल में एसओजी की टीम को एक पुरुष और महिला दिखाई दिए। सरेंडर करने को कहा तो वे भागने लगे। टीम ने घेराबंदी कर साजंती को पकड़ लिया जबकि उसका साथी समर भागने में कामयाब रहा। साजंती पर हत्या, हत्या के प्रयास जैसे 6 गंभीर अपराध दर्ज हैं।
साजंती की तीन राज्यों- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की पुलिस को तलाश थी। उस पर मध्यप्रदेश सरकार ने 3 लाख, छत्तीसगढ़ ने 5 लाख और महाराष्ट्र सरकार ने 6 लाख का इनाम घोषित कर रखा था।
आदिवासी परिवारों में नक्सलियों का डर बरकरार
गोंडवाना गोंड महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और आदिवासी नेता भुवन सिंह कोर्राम ने कहा, ‘आदिवासी परिवारों में यह डर है कि नक्सली उनके बच्चों को जबरदस्ती उठाकर दलम में ले जा सकते हैं। हालांकि, ऐसा मामला मेरे सुनने या देखने में तो नहीं आया है कि नक्सलियों के डर से बेटियों की शादी कर दी गई हो लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है।’
इन दो मामलों से समझिए आदिवासी इलाकों में हालात
केस-1: 35 वर्षीय महिला ने रोते हुए बताया कि दलम में भर्ती करने के लिए नक्सली छोटे बच्चों को ले जाते हैं। डर के चलते हमने 11 साल की उम्र में ही अपनी बच्ची का विवाह कर दिया। हमें हमेशा डर सताता था कि कहीं किसी रोज नक्सली हमारी बेटी को न उठा ले जाएं।
केस-2: 41 वर्षीय आदिवासी व्यक्ति ने कहा कि नक्सलियों के डर के चलते मैंने अपनी बेटी की शादी 12 साल की उम्र में कर दी। सोचा था कि ऐसा करने से वह नक्सलियों से बच जाएगी। कम उम्र में शादी करने के कारण वह जल्द ही गर्भवती हो गई। गर्भपात हो जाने की वजह से वह बीमार रहने लगी है।