हरिद्वार: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान मां दुर्गा की मूर्ति घर या मंदिरों में स्थापित की जाती है और 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और नवमी तिथि तक मनाई जाती है. इस साल शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर, 2024 से शुरू हो रही है और इसका समापन 11 अक्टूबर को नवमी के दिन होगा. वहीं 12 अक्टूबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा.हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री ने को बताया कि नवरात्रि 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में सबसे पहले घट स्थापना की जाती है जिसके बाद देवी दुर्गा के निमित्त 9 दिन तक व्रत रखकर धार्मिक शास्त्रों में बताई गई विधि के अनुसार मां दुर्गा के नौ रूप की पूजा होती है. घट स्थापना करने के लिए कुछ सामान का होना बेहद जरूरी बताया गया है. नवरात्रि के पहले दिन माता की चौकी को ईशान दिशा में लगाना चाहिए. घट यानी घड़ा, घड़े की स्थापना के बिना नवरात्रि अधूरी होती है. शास्त्रों में मिट्टी के घड़े की स्थापना करने का महत्व है. यदि मिट्टी का घड़ा नहीं मिल रहा है तो ताम्र यानी तांबे के घड़े की स्थापना कर सकते हैं.घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
पंडित श्रीधर शास्त्री ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में घटस्थापना सुबह के समय करना अत्यंत फलदायी माना जाता है लेकिन, इस बार सुबह चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग होने के कारण सुबह के समय घट स्थापना नहीं की होगी. पंचांग के अनुसार, 15 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त है ऐसे में सुबह 11 बजकर 44 मिनट से घटस्थापना शुरु होगी.घट स्थापना के लिए जरूरी हैं ये सामान
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि मिट्टी के घड़े या फिर तांबे के घड़े में साफ जल भरकर पानी वाले नारियल पर लाल चुनरी या लाल कपड़ा लपेटकर उसे कलावे से बंधे और पूजा स्थल पर घड़े के ऊपर उसे रख दें. वहीं पानी वाला नारियल, उसके ऊपर लाल रंग की चुनरी, उसको बांधने के लिए कलावा, बालू (साफ रेत या मिट्टी), अगरबत्ती, धूप बत्ती, दूर्वा (दूब घास), रोली, तिल, जौ, रूई, देशी घी, कपूर, सुपारी, पान का पत्ता, पान, सुपारी, तांबे का लोटा या गिलास, सामग्री, सिंदूर, पंचामृत, फल, फूल, माता के लिए बड़ी चुनरी, दुर्गा चालीसा आदि का महत्व होता हैं. नवरात्रि शुरू होने से पहले बताए गए सामान को इकट्ठा एकत्रित कर लें. वहीं सुबह शाम जब भी आप देवी दुर्गा की पूजा करें तो उपलो की आग पर ही सामग्री डालकर पूजा पाठ करें. इससे आपकी पूजा सफल होगी और आपके सभी मनोरथ सिद्ध हो जाएंगे.

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