वाराणसी: रंगों के त्योहार होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन का अपना धार्मिक महत्व है.कहा जाता है होलिका दहन के साथ बुरी शक्तियों का नाश होता है. इसलिए हर किसी को होलिका दहन जरूर देखना चाहिए. पंचाग के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. इस बार होलिका के दिन भद्रा का साया भी है. आइये जानते हैं काशी के ज्योतिषाचार्य से होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है.ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस बार 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इस दिन सुबह 9 बजकर 24 मिनट से पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो रही है और इसके साथ ही भद्रा भी लग रहा है, जो रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. यह भद्रा मृत्यु और पाताल लोक की है. भद्रा काल में किसी भी शुभ काम या धार्मिक अनुष्ठान की मनाही होती है.
पूजा से पहले करें शुद्धिकरण
ऐसे में 24 मार्च को भद्रा समाप्त होने के बाद होलिका का दहन किया जाएगा. 10 बजकर 27 मिनट के बाद शरीर के शुद्धिकरण के साथ विधिवत पूजा करनी चाहिए उसके बाद होलिका का दहन करना चाहिए.
यह समय है शुभ मुहूर्त
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि 24 मार्च को होलिका दहन के लिए धनु लग्न सर्वश्रेष्ठ है. 24 मार्च को रात 12 बजकर 02 मिनट से धनु लग्न की शुरुआत हो रही है जो 2 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. ऐसे में यह 2 घण्टे 3 मिनट का समय होलिका दहन के लिए सबसे शुभ है.
ऐसे करें होलिका पूजा, दूर होंगे कष्ट
होलिका पूजा के दौरान सबसे पहले कच्चे सूत से पांच या सात बार होलिका की परिक्रमा लगानी चाहिए. इसके बाद उसमें अक्षत, पुष्प, गुड़, रोली, हल्दी, नारियल और बताशा डालना चाहिए. इसके बाद जब होलिका दहन हो जाए तो उसका दर्शन जरूर करना चाहिए. इससे शरीर के सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है