करेले का स्वाद तो हम इस मौसम में अक्सर घरों में सब्जी के रूप में चखते है. लेकिन क्या कभी आपने करेलें के छोटे भाई मुरेला का स्वाद चखा है. अगर नहीं चखा तो आज इसके बारे में जान लीजिए. क्योंकि यें मुरेला बाजरों में महज कुछ दिन के लिए ही दिखाई देता है. बहुत से लोग तो इससे पुरी तरह वाकिफ भी नहीं है.करेले का यह छोटा रूप मुरेला सिर्फ इन दिनों में ही मुश्किल से 15 दिन या महीने भर के लिए बाजारों में आता है. कई लोग इससे अनजान होने के कारण इस खास और गुणकारी सब्जी को अपनी रसोई तक नहीं पहुंचा पाए हैं. बल्कि कई लोग तो ऐसे भी हैं जिन्होंने इस सब्जी का नाम तक नहीं सुना हैं.यह दिखता जरूर करेला जैसा है. लेकिन मुरेला का स्वाद करेला से भी ज्यादा कड़वा और आकार में यह एकदम ककोड़ा जैसा होता है. इसके बारे में ऐसा भी माना जाता है कि मुरेला कई बीमारियों को जड़ से उखाड़ फेंकता है.मुरेला के बारे में सब्जी व्यापारीयों का कहना है कि यह बहुत ही अच्छी और फायदेमंद सब्जी है. कुदरती बारिश में पैदा होने वाली यह सब्जी बरसाती सीजन में ही बाजार में आती है. इसकी सब्जी बिल्कुल करेलें की तरह बनाई जाती है.जंगलों में पैदा होने वाली यह सब्जी एक तरीके से जड़ी बूटी है. हर साल बाजार में इसका भाव 60 रुपए से लेकर 80 रुपए किलो तक बीच रहता है. मुरेला बाजारों में काकोड़ा के साथ और उसके आगे पीछे आता है. जों काकोड़ा से भी कम बाजार में चलता हैं.आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि- करेले जैसी देखने वाली यह सब्जी स्वास्थ्य के लिए करेले से भी फायदेमंद होती है. करेले में पाए जाने वाले पोषक तत्व इसमें और भी ज्यादा प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. कई प्रकार के अंगरोगों को यह मुरेला जड़ से काट देता है. इसकी सब्जी खाने से शरीर को ताप – बुखार जैसी बीमारी नहीं लगती है. आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए भी यह मुरेला यह सब्जी कारगर है.Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. जगन्नाथ डॉट कॉम किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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