सेहत

ब्रांडेड घी’ सिर्फ 240 रुपए किलो… नकली घी के काले कारोबार पर स्टिंग ऑपरेशन में सबसे बड़ा खुलासा

दीपावली का त्योहार नजदीक आ गया है. घरों में मिठाई, गुजिया और अलग-अलग तरीके के नमकीन बनाए जा रहे हैं. मिठाइयों के स्वाद से समझौता न हो इसलिये ज्यादातर लोग घी में इन्हें बनाना पसंद करते हैं, जिसके कारण बड़ी मात्रा में घी की बिक्री भी हो रही है. ऐसे में आज तक ने बाजार में ‘ब्रांडेड कंपनियों के डिब्बे’ में बेचे जा रहे नकली घी के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन किया है.

इस रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है और सामने आया है कि किस तरह पैसे कमाने के लालच में लोगों की हेल्थ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. आज तक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस में बड़े घी निर्माण केंद्रों का दौरा किया.

ज्यादातर फेमस ब्रांड के डुप्लिकेट कार्टनइस ऑपरेशन को अंजाम देने जा रही टीम ने तय किया कि हम दुकानदार बनकर घी निर्माताओं के पास पहुंचेंगे. हमने ऐसा ही किया और एक चेन सिस्टम के जरिये आज तक की टीम हाथरस के घी निर्माता विष्णु वार्ष्णेय के पास पहुंची. हमने विष्णु से कहा कि हम थोक में घी खरीदना चाहते हैं. शुरुआती बाचतीत में ही विष्णु ने हमें भरोसा दे दिया कि वह अपने घी को ज्यादातर फेमस ब्रांड के डुप्लिकेट कार्टन में पैक कर सकता है. अब आइये आपको बताते हैं कि विष्णु और आज तक की टीम के बीच क्या बात हुई.

विष्णु: आपको अमूल टिन चाहिए है न?

रिपोर्टर: हां, हमें अमूल वाला चाहिए.

विष्णु: आपको अमूल टिन मिलेगा.

रिपोर्टर: ठीक है, और इसकी कीमत क्या होगी?

विष्णु: एक किलो के कार्टन की कीमत 240 रुपए होगी.

विष्णु की बातों पर आज तक की टीम को आश्चर्य हुआ, क्योंकि आमतौर पर ब्रांडेड कंपनी का घी 600 रुपये किलो से ज्यादा में ही मिलता है. लेकिन विष्णु जैसे लोग इसे 240 रुपए किलो कैसे बेच रहे हैं? बता दें कि भारत में घी व्यवसाय 3 लाख करोड़ से ज्यादा का है. इसमें प्रॉफिट-मार्जिन भी काफी ज्यादा है. विष्णु से हमारी क्या बात हुई ये आपको आगे जानने को मिलेगा, लेकिन पहले ये जान लीजिये की भारत में इतनी बड़ी तादाद में नकली घी के कारोबार की वजह क्या है?

> हाथरस में नकली या मिलावटी घी की कीमत 240-260 रुपये प्रति किलोग्राम है.
> मानक देसी घी की कीमत लगभग 500 से 700 रुपये प्रति किलोग्राम है.
> भारत में घी का कारोबार 3.2 लाख करोड़ रुपये (2023) का है.
> 2032 तक घी का कारोबार 6.9 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है.

हमसे बातचीत करते हुए ही विष्णु अंदर जाकर एक कटोरी में घी का नमूना लेकर आ गया. जब हमने पूछा कि ये घी कैसे बना है तो विष्णु ने बताने से इनकार कर दिया. हमने विष्णु से कहा कि यह तो बढ़िया और दानेदार है. लेकिन क्या आपके पास पैक किये हुये सैंपल नहीं है, क्योंकि हमें पैकिंग देखनी है और वो ही सबसे जरूरी चीज है. इस पर विष्णु ने कहा कि वह हमें पैकिंग की फोटो दिखा सकता है.

घी के नाम पर क्या बेच रहा विष्णु

विष्णु घी के नाम पर जो चीज बेच रहा है, वह घी जैसा दिखता जरूर है लेकिन असल में वह घी नहीं है. उसकी महक भी घी जैसी है. लेकिन वह हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल और रिफाइंड तेल का मिश्रण है, जिसमें देसी घी का एसेंस मिलाया गया है. आज तक की टीम ने विष्णु को जोर देकर पूछा कि इसे कैसे बनाया जाता है, क्या मिलाते हैं तो विष्णु ने बताया कि रिफाइंड और डालडा. 

नकली घी के सौदागर विष्णु को काफी हद तक यह भरोसा हो गया था कि हमें घी का सैंपल पसंद आ गया है. इसलिये अब नरमी दिखाते हुए विष्णु अंदर से अमूल के नकली डिब्बे लेकर आ गया, जिसमें इस घी को पैक करके बेचा जाता है. हमने पूछा कि क्या उसके पास और दूसरे फेमस ब्रांड भी हैं तो उसने कहा कि अभी तो नहीं हैं, लेकिन वह इंतजाम कर सकता है. उसने दावा किया कि वह पारस और मधुसूदन के नकली डिब्बे का भी इंतजाम कर सकता है.

अब तक हमने की नकली घी की बात और अब आते हैं ‘पूजा वाले घी’ पर. यह काम बेहद मुनाफे वाला है. कुछ कंपनियां पूजा के लिये अलग से घी बनाती हैं. इसे पूजा वाला घी कहा जाता है. विष्णु के बाद हम पहुंचे हाथरस में पूजा वाले घी के निर्माता मेहुल खंडेलवाल के पास.

खंडेलवाल: बताइये आपको क्या चाहिए. अच्छी क्वालिटी का सामान या हल्का?

खंडेलवाल: क्या यह चलेगा?

रिपोर्टर: मधुसूदन

खंडेलवाल: नहीं माधवन है. मैं कोई नकली सामान नहीं बेचता. मैं कोई डुप्लिकेट आइटम नहीं बनाता. यह हमारा अपना ब्रांड है.

खंडेलवाल: हम जो भी दिखाते हैं वह हमारा अपना होता है. हमारे पास 16-17 ब्रांड हैं.

खंडेलवाल: मैं आपको मीडियम क्वालिटी वाला प्रोडक्ट दिखाऊंगा. जो न तो बहुत खराब है, न ही बहुत अच्छा.

रिपोर्टर: क्या आप बता सकते हैं कि पूजा के लिए किस तरह का घी होना चाहिये?

खंडेलवाल: भाई, कई किस्में उपलब्ध हैं.

(खंडेलवाल ने घी की मशहूर कंपनी गोवर्धन के नाम से भी अपना एक घी प्रोडक्ट बना रखा है, बस इसकी स्पेशलिंग थोड़ी सी अलग है, जो भ्रम पैदा करती है)

रिपोर्टर: यह अग्नि है, यह गोवर्धन है, और यह माधवन है. कौन सबसे ज्यादा बिकता है?

खंडेलवाल: गोवर्धन.

रिपोर्टर: यह किस चीज से बना है? इसमें कुछ मात्रा में घी है या नहीं?

खंडेलवाल: इसमें सिर्फ डालडा और रिफाइंड (तेल) है. आप क्या पूछ रहे हैं, आप भी तो बेचते हैं.

रिपोर्टर: मैं तो सिर्फ जिज्ञासावश पूछ रहा था. मैंने सुना था कि इसमें कुछ मात्रा में देसी घी भी मिलाया जाता है.

खंडेलवाल: सब झूठ बोलते हैं. 180 रुपए में आप उम्मीद करते हैं कि मैं असली घी डालकर बेचूं?

रिपोर्टर: लेकिन पैकेट पर कहीं भी घी शब्द नहीं लिखा है.

खंडेलवाल: मैं घी नहीं लिखूंगा. आप बच्चों की तरह बात कर रहे हैं. मैं घी क्यों लिखूंगा भाई?

रिपोर्टर: लेकिन ग्राहक घी तो मांगेगा ही न?

खंडेलवाल: हम लिखते हैं कि यह हवन सामग्री है. मैं बिल्कुल भी घी नहीं बेच रहा. यह सिर्फ हवन सामग्री है.खंडेलवाल के शब्दों में उनके सभी 16-17 घी प्रोडक्ट पूजा सामग्री की श्रेणी में आते हैं. ग्राहक पूजा वाला घी मांगेगा. खंडेलवाल उसे पूजा सामग्री बेचेंगे. वे घी शब्द का इस्तेमाल नहीं करते. यानी इनके पास घी शब्द पर लोगों के भरोसे पर आधारित एक फायदेमंद बिजनेस मॉडल है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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