बीजापुर। बीजापुर में राज्य सरकार अंदुरुनी क्षेत्रों में सड़क, पुल, पुलियों का निर्माण कर गांवों को मुख्य धारा से जोडऩे का हर संभव प्रयास कर रही है। इसमें काफी हद तक सफल भी हो रही है। जिससे अंदरूनी क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके। इसके के लिए सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दिन-रात सुरक्षा बलों द्वारा पहरी देकर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछा रही है। इन अंदरूनी सड़को को बनाने में कई जवानों की शहादत भी हुई है। जिससे सरकार और प्रशासन में बैठे लोग भी इस बात से वाकिफ हैं।
बीजापुर जि़ले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र हीरौली से कावडग़ाँव तक 1.53 कि.मी. सड़क 49.99 लाख रुपयों की लागत से बनाया गया। लेकिन बारिश के बाद ही सड़क दरकने लग गई है। जि़ला निर्माण समिति से बन रही ये सड़क सात दशकों के बाद बनाई जा रही थी। लेकिन वे भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ गई। ऐसा लगता कि ठेकेदार और इंजीनियर ने इन्हें बनवाने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई।
यह डेढ़ किलोमीटर की सड़क बनाने की लागत राशि लगभग 50 लाख रुपये है।इंजीनियर अगर इन 50 लाख रुपयों से बन रही सड़क पर 55 मिनट समय भी उस जगह पर जाकर दिया होता तो शायद इस सड़क बनवाने में शहीद जवानों की आत्मा को शांति मिलती। लेकिन ठेकेदार के साथ इंजीनियर ने मिलकर अपने कमीशन के चलते घर बैठे इस डेढ़ किलोमीटर की सड़क का मूल्यांकन कर पूरी राशि आहरण करने ठेकेदार की मदद की.और इस डेढ़ किलोमीटर की सड़क में ठेकेदार व इंजीनियर ने मिलकर गुणवत्ताहीन कार्य करा कर इस सड़क पर एक भ्रष्टाचार की लकीर खींच दी।
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