Blog

Gustakhi Maaf: ट्रैफिक की क्लास और यातायात व्यवस्था

-दीपक रंजन दास
रायपुर यातायात पुलिस ने एक अनोखी पहल की है। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को अब केवल जुर्माना वसूल कर छोड़ा नहीं जाएगा। उनकी आधे घंटे की बाकायदा क्लास लगाई जाएगी। क्लास में ट्रैफिक रूल्स को लेकर सवाल पूछे जाएंगे। जो जवाब नहीं दे पाएगा, उससे जुर्माना वसूला जाएगा। दरअसल, ईएमआई स्कीम के चलते आज हर किसी के पास वाहन है। सड़कों पर गाडिय़ों की रेलमपेल है। एक तरफ जहां वाहनों की संख्या बढ़ रही है वहीं पार्किंग की जगह कम पड़ रही है। 40 गाडिय़ों की पार्किंग की व्यवस्था करने में पसीना छूट जाता है। जब तक यह व्यवस्था बन पाती है 400 और गाडिय़ां ट्रैफिक में शामिल हो जाती हैं। शार्टकट आदत नहीं बल्कि मजबूरी है। आदतन ट्रक और भारी वाहन सड़क के दाहिने लेन में चलते हैं। उन सड़कों पर भी जहां चौक चौराहों की भरमार है। रेड लाइट पर जब ये ट्रक रूकते हैं तो दाहिने मुडऩे वालों के लिए रास्ता बंद हो जाता है। एक मामला भिलाई के नेहरू नगर चौक का है। यहां भी सुपेला से दुर्ग जाने वाले ट्रक राइट लेन में रुकते हैं। लिहाजा नेहरू नगर की ओर मुडऩे वालों को रास्ता नहीं मिलता। ग्रीन लाइट पर मुश्किल से दो चार ट्रक खिसक पाते हैं। उनके पीछे चलने वालों का धैर्य जवाब देने लगता है। कुछ होशियारों ने इसका भी हल ढूंढ रखा है। कैरिज वे छोड़ कर वो पहले सर्विस लेन में आते हैं और फिर अंडरब्रिज की ओर जाकर होटल ग्रांड ढिल्लन के सामने से राइट लेते हैं और नेहरू नगर की ओर मुंह करके खड़े होते हैं। इससे उनका निकलना कुछ आसान हो जाता है। पर यहां पैदा होती है दूसरी मुसीबत। जब ट्रैफिक सिग्नल अंडब्रिज वाले रास्ते के लिए ग्रीन होता है तो लोग निकल नहीं पाते। उन्हें अपने सामने क्रास ट्रैफिक मिलती है। वो पूरी रफ्तार से सड़क तो पार कर लेते हैं पर चंद कदम के फासले पर उन्हें अपने सामने रास्ता काटकर लेफ्ट से राइट जाने वाली कारें और छोटे-हाथी मिल जाते हैं। सुपेला क्रासिंग पर एक अनोखा कट है। कट ऐसी जगह है जहां वास्तव में कोई रास्ता नहीं है। यहां डिवाइडर को लेवल कर दक्षिण गंगोत्री में उतरने का रास्ता बना लिया गया है। दरअसल, दिक्कत ट्रैफिक रूल्स के बारे में जानकारी की नहीं है। जानकारी सबको है। बस पालन करने में दिक्कतें हैं। कब रुकना है, कब चलना है, पार्किंग कहां करनी है – लोगों को सब पता है। पर ब्रेक लगाते ही पीछे वाले हॉर्न बजा-बजाकर हलाकान कर देते हैं। पार्किंग में कुछ लोग गाड़ी ऐसे लगा जाते हैं कि स्कूटी और बाइक को पूंछ की तरफ से पकड़कर इधर-उधर करना पड़ता है। सबसे बड़ी दिक्कत हेलमेट की है। इसे लेकर मॉल या ऑफिस में जाना अच्छा नहीं लगता। हेलमेट अच्छी हो और वह स्कूटी-बाइक पर छोड़ दी गई हो तो लौटने पर अकसर उसके दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं।

The post Gustakhi Maaf: ट्रैफिक की क्लास और यातायात व्यवस्था appeared first on ShreeKanchanpath.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button