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विशेष टिप्पणी :-मोदी के निशाने पर कांग्रेस और राहुल

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जब सदन की मर्यादा को ताक पर रखकर बहुसंख्यक समाज, भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की तो लाजिमी था कि मोदी भी उसी अंदाज में जवाब देते। लेकिन जब मोदी बोलने आए तो कांग्रेस के सांसदों ने पूरे समय जमकर हंगामा किया। इसी हंगामे के बीच प्रधानमंत्री ने पूरे विपक्ष में से सिर्फ राहुल गांधी और कांग्रेस को निशाने पर रखकर चुन-चुनकर जवाब दिए। मोदी सदन में जब बोलते हैं तो कांग्रेस समेत विपक्ष की पूरी कुंडली खोलकर रखते हैं। जाहिर है कि कयास लगाए जा रहे थे कि पीएम मोदी कांग्रेस की जमकर धुलाई करेंगे। मोदी, राहुल गांधी के जवाब में खूब बोले। करीब 2 घंटे से ऊपर (करीब 2 घंटा 17 मिनट)। उन्होंने कांग्रेस, कांग्रेस नेताओं, नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक के बारे में बोला। राहुल गांधी ने जिन खास बातों की चर्चा की थी उनमें से कुछ एक को छोड़कर अधिकतर मुद्दों को उन्होंने अपने भाषण में शामिल किया। जाहिर है कि अब इस बात पर बहस होगी कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में किसने बेहतर बोला? देखा जाए तो पीएम मोदी ने सदन में अपने भाषण के जरिए एकसाथ कई निशाने साधे। भले ही उसके केन्द्र में राहुल गांधी रहे हों।

पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरी स्पीच के दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को ही टार्गेट पर रखा, जबकि उन पर टार्गेट करने वालों में तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता भी शामिल थे। पर पीएम मोदी का फोकस कहीं और नहीं था। उन्होंने नेहरू, इंदिरा गांधी यहां तक राजीव गांधी की भी चर्चा की। मोदी की कोशिश यह साबित करने की रही कि कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के लिए परजीवी की तरह है। शायद उन्हें लगता है कि उनकी स्पीच से समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस आदि कांग्रेस से सजग होंगे। मोदी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि कांग्रेस के जो साथी दल हैं, उन्होंने इस चुनाव का विश्लेषण किया है या नहीं। ये चुनाव इन साथियों के लिए भी एक संदेश है। अब कांग्रेस पार्टी 2024 से एक परजीवी कांग्रेस के रूप में जानी जाएगी। 2024 से जो कांग्रेस है, वो परजीवी कांग्रेस है और परजीवी वो होता है जो जिस शरीर के साथ रहता है, उसी को खाता है। कांग्रेस भी जिस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसी के वोट खा जाती है और अपनी सहयोगी पार्टी की कीमत पर वो फलती-फूलती है और इसीलिए कांग्रेस, परजीवी कांग्रेस बन चुकी है। यह तथ्यों के आधार पर कह रहा हूं। आपके माध्यम से सदन और सदन के माध्यम से देश के सामने कुछ आंकड़े रखना चाहता हूं। जहां-जहां बीजेपी-कांग्रेस की सीधी फाइट थी, जहां कांग्रेस मेजर पार्टी थी, वहां कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 26 परसेंट है। लेकिन जहां वो किसी का पल्लू पकड़ के चलते थे, ऐसे राज्यों में उनका स्ट्राइक रेट 50 परसेंट है। कांग्रेस की 99 सीटों में से ज्यादातर सीटें उनके सहयोगियों ने जिताई है और इसलिए कह रहा हूं कि परजीवी कांग्रेस है। 16 राज्यों में कांग्रेस जहां अकेले लड़ी, वोट शेयर गिर चुका है। गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश, तीन राज्यों में जहां कांग्रेस अपने दम पर लड़ी और 64 में से सिर्फ दो सीट जीत पाई है। इसका साफ मतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह परजीवी बन चुकी और अपने सहयोगी दलों के कंधे पर चढ़कर सीटों का आंकड़ा बढ़ाया है। कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के जो वोट खाए हैं, न खाए होते तो लोकसभा में उनके लिए इतनी सीटें जीत पाना भी बहुत मुश्किल था।

मोदी ने भाषण के दौरान कहा कि अब जैसे को तैसा जवाब दिया जाएगा। राहुल गांधी ने जिस तरह अपने भाषण में कई बार पीएम पर पर्सनल अटैक किया, उसका जवाब पीएम मोदी ने भी उससे भी कड़े अंदाज में दिया। अब तक राहुल गांधी के विरोधी उन्हें पप्पू कहकर संबोधित करते रहे हैं। पर पीएम ने अपने स्पीच के दौरान नाम लिए बिना कई बार उनका बालक बुद्धि कहकर मजाक उड़ाया। मोदी ने कहा कि जब उन पर बालक बुद्धि पूरी तरह सवार हो जाती है तो ये किसी के भी गले पड़ जाते हैं। ये हजारों करोड़ रुपए की हेराफेरी के मामले में जमानत पर हैं, ओबीसी पर टिप्पणी के मामले में सजा पा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी को लेकर माफी मांगनी पड़ी है। इन पर वीर सावरकर के अपमान का मुकदमा है। इन पर देश की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष को हत्यारा कहने का मुकदमा है। इन पर कई अदालतों में झूठ बोलने के केस हैं। बालक बुद्धि में न बोलने का ठिकाना होता है ना व्यवहार का ठिकाना होता है। बालक बुद्धि जब पूरी तरह से सवार हो जाती है तो ये सदन में भी किसी के गले पड़ जाते हैं। सदन में बैठकर भी आंखें मारते हैं। इनकी सच्चाई पूरा देश समझ गया है। इसलिए देश इनसे कह रहा है- तुमसे नहीं हो पाएगा। तुलसी दासजी कह गए हैं- जुठई लेना, जुठई देना, जुठई भोजन, जुठई चबेना। कांग्रेस ने झूठ को राजनीति का हथियार बनाया। कांग्रेस के मुंह झूठ लग गया है जैसे वो आदमखोर एनिमल होता है न जिसके मुंह पर लहु लग जाता है, वैसे ही कांग्रेस के मुंह झूठ का खून लग गया है। चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को हर महीने 8500 रूपए देने का वायदा करने वाले राहुल गांधी का पीएम मोदी ने यह कहकर भी मजाक उड़ाया कि देश ने एक जुलाई को खटाखट दिवस मनाया है। दरअसल, राहुल ने अपने भाषण में महिलाओं के खाते में खटाखट पैसे आने की बात कही थी।

मोदी ने कहा कि आजकल सिम्पैथी गेन करने के लिए एक नई ड्रामेबाजी शुरू की गई है। उन्होंने किस्सा सुनाया,- एक बच्चा स्कूल से आया और जोर-जोर से रोने लगा। उसकी मां भी डर गई, क्या हो गया। वह कहने लगा मां मुझे स्कूल में मारा गया। आज उसने मारा, इसने मारा और रोने लगा। मां ने बात पूछी तो बता नहीं रहा था। बच्चा ये नहीं बता रहा था कि उस बच्चे ने किसी को मां की गाली दी थी, किताबें फाड़ दी थी, टीचर को चोर कहा था, किसी का टिफिन चुराकर खा गया था। हमने कल सदन में यही बचकाना हरकत देखी। कल यहां बालक बुद्धि का विलाप चल रहा था। उन्होंने कहा कि मैं अपने सामान्य जीवन के अनुभव से बताता हूं. कि कोई छोटा बच्चा साइकिल लेकर निकला है औऱ अगर वो बच्चा गिर जाता है, रोने लगता है तो कोई बड़ा व्यक्ति उसके पास पहुंचकर ध्यान भटजाने के लिए कहता है कि देखो चींटी मर गई, चिडिय़ा उड़ गई। ऐसे करके उसका मन ठीक करने का प्रयास करते हैं। उसका ध्यान भटकाकर उस बच्चे का मन बहला देते हैं, आजकल बच्चे का मन बहलाने का काम चल रहा है और कांग्रेस का इकोसिस्टम आजकल ये मन बहलाने का काम कर रहे हैं।

पीएम ने राहुल गांधी पर व्यक्तिगत आक्षेप लगाते हुए शोले फिल्म में मौसी वाले घटनाक्रम को मिमिक्री वाले अंदाज में सुनाया। मोदी ने कांग्रेस को मिली 99 सीट पर तंज कसते हुए कहा कि 99 माक्र्स लेकर एक व्यक्ति घूम रहा था और दिखाता था कि देखो 99 माक्र्स आए हैं। लोग भी शाबासी देते थे। टीचर आए और कहा कि किस बात की बधाई दे रहे हो। ये सौ में से 99 नहीं लाया। ये 543 में से 99 लाया है। अब बालक बुद्धि को कौन समझाए। कांग्रेस के नेताओं के बयानों में बयानबाजी ने शोले फिल्म को भी पीछे छोड़ दिया है। आप सबको शोले फिल्म की मौसीजी याद होंगी। तीसरी बार तो हारे हैं पर मौसी मोरल विक्ट्री तो है न। 13 राज्यों में जीरो सीटें आई हैं। अरे मौसी 13 राज्यों में जीरो सीटें आई हैं पर हीरो तो हैं न। अरे पार्टी की लुटिया तो डुबोई है। अरे मौसी पार्टी अभी भी सांसें तो ले रही है।

राहुल गांधी सोमवार को जब संसद में बोल रहे थे उन्हें किसी ने डिस्टर्ब नहीं किया। जबकि कई बार वे राजनीतिक गरिमा की सीमाएं लांघ रहे थे। बीजेपी के पास पर्याप्त कारण थे कि वो हो हल्ला करके राहुल गांधी के भाषण को न होने देती। बीच-बीच में कई मंत्रियों ने बहुत शालीनता से अपनी बात रखी। पीएम मोदी भी 2 बार उठे और अपनी बात रखी। इसके विपरीत मंगलवार को पीएम मोदी जब बोलने के लिए उठे तो कांग्रेस लगातार नारेबाजी और शोर करती रही। जाहिर है कि इसे राहुल गांधी रोक सकते थे। पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कई बार बहुत ही तल्ख लहजे में उन्हें चेताया भी,. पर कांग्रेस सदस्य लगातार शोर करते रहे। जबकि पीएम ऐसी कोई बात कह भी नहीं रहे थे जिसमें कांग्रेस का शोर करना जरूरी हो जाता। पीएम लगातार वही बातें दोहरा रहे थे जो अकसर अपने चुनावी सभाओं में बोलते रहे हैं। विपक्ष अपना संख्याबल बढ़ाने में तो कामयाब रहा, लेकिन शायद यह समझने को तैयार नहीं कि संख्याबल का इस्तेमाल नारेबाजी के अलावा भी हो सकता है।

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