छत्तीसगढ़ का गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला अपनी जैव विविधताओं के लिए जाना जाता है. यहां के जंगलों में लघु वनोपज के साथ दुर्लभ पुटू और छतनी पाई जाती है, जो खाने में काफी स्वादिष्ट होती है. प्री मानसून के कुछ दिनों तक पाई जाने वाली इस स्वादिष्ट सब्जी की मांग इतनी ज्यादा होती है कि यह छत्तीसगढ़ की सबसे महंगी सब्जी हो जाती है. यह साल सरई के जंगलों में पाई जाती है. अक्सर साल पेड़ के नीचे भुरभुरी मिट्टी वाली जगहों पर पाई जाने वाली पूटु हल्की बारिश और बिजली की गड़ गड़ाहट के बाद जमीन से हल्की निकली हुई नजर आती है.इस साल बारिश की अनियमितता से पूटु की आवक कम हो गई है, जिससे इसके दाम में इस साल भारी इजाफा नजर आया है. सीजनल सब्जी होने की वजह से लोग इसे थोड़ी मात्रा में ही सही, लेकिन घर जरूर लेकर जाते नजर आ रहे हैं. इस सब्जी की खास बात ये है कि ये सिर्फ बारिश में ही पाई जाती है, इसलिए इसके चाहने वाले बड़ी कीमत चुकाकर भी इसका स्वाद लेने से पीछे नहीं हटते. इसकी मांग बिलासपुर रायपुर सहित दूसरे बड़े शहरों में भी है.छोटे आलू की तरह दिखने वाली इस सब्जी को ग्रामीण बाजारों में बेचते नजर आ रहे है. इस सब्जी को खरीदना हर किसी की बात नहीं है, क्योंकि ये इस समय बाजार की सबसे कीमती सब्जी होती है. स्थानीय भाषा में इस सब्जी को पुटू कहा जाता है. कई क्षेत्रों में इसे बोड़ा और रुगड़ा भी कहते हैं. पुटू के रेट ग्रामीणों की कमाई का एक बड़ा जरिया है.साल में सिर्फ 1 या 2 महीने मिलने वाली ये सब्जी दूरदराज के ग्रामीणों को अच्छा खासा मुनाफा दे जाती है. यही वजह है कि बाजार की तलाश में लंबी दूरी तय कर महिलाएं इसे बेचने पेंड्रा आती हैं, जबकि ये सब्जी जंगली इलाकों में प्राकृतिक तौर पर मिलती है.पुटू हाई प्रोटीन डाइट है. इसमें कार्बन, कार्ब, फास्फोरस, कैल्शियम भी कुछ मात्रा में होते हैं, लेकिन मुख्य रूप से इसमें प्रोटीन पाया जाता है, जो बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बहुत फायदेमंद है. माना जाता है कि इससे बच्चों का शारीरिक विकास अच्छा होता है, महिलाओं की स्किन प्रॉब्लम, बालों की प्रॉब्लम इसे खाने से ठीक हो सकती हैं. पुटू किसी भी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद हैं. इसका सही मात्रा में सेवन करने से बेहद गुणकारी तत्व शरीर को मिलते हैं. इसके ज्यादा सेवन से नुकसान हो सकता हैपेंड्रा में पुटू लगभग एक हफ्ते से मिल रहा है. सब्जी विक्रेताओं की मानें तो पुटू की पहली खेप जब बाजार में आई तो कीमत 16 सौ रुपए किलो थी.अब जैसे-जैसे अन्य दूसरे जगहों से पुटू की खेप आ रही है वैसे-वैसे कीमत घट रही है. फिर भी कीमत अब घटकर 800 तक पहुंची है. फिर भी ये रेट बाजार में बिकने वाले चिकन या मटन से कहीं ज्यादा है.
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