अब बिजली चोरी भारी पड़ेगी। इसकी वजह यह है कि बिजली चोरी का मामला दर्ज होते ही पूरा बिल भरना पड़ेगा। ऐसा नहीं किया तो मामला सीधे अदालत में पहुंचेगा। बिजली कंपनी द्वारा बिजली चोरी के मामलों में सुनवाई के लिए बनाई गई सर्कल लेवल की कमेटी खत्म कर दी गई है। अब इस कमेटी में बिल रिवाइज नहीं होगा। अब विद्युत अधिनियम की धारा 125 के तहत मामला दर्ज करने के बाद 1 साल की बिलिंग की जाएगी। पूरा भरने पर ही मामला सुलझेगा नहीं तो अदालत जाना पड़ेगा।
चोरी से बिजली कंपनी को ₹3 प्रति यूनिट तक नुकसान
संवेदनशील इलाकों में वसूली 2.80 रु प्रति यूनिट से लेकर 4.50 रु प्रति यूनिट तक है। बिजली की एवरेज कॉस्ट 6.50 रु प्रति यूनिट है। इस कारण कंपनी को प्रति यूनिट औसतन ₹3 तक का नुकसान हो रहा है।