छत्तीसगढ़

ऐप के भरोसे स्कूल शिक्षा: अफसर AC कमरे से बाहर निकलते नहीं, ऐप से करेंगे शिक्षकों की निगरानी

रायपुर. स्कूल शिक्षा विभाग में राज्य स्तर से प्रयोग तो होते ही रहते हैं. जिला स्तर पर भी प्रयोग अब आम बात है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसमें ब्लॉक से लेकर जिला तक के अधिकारी अपना हाथ साफ करते रहते हैं। अब पिछले सरकार की ही बात ले लीजिए , मुंगेली जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा टीचर सपोर्ट एंड मैनेजमेंट सिस्टम (TSMS) के नाम पर एक ऐप तैयार कर शिक्षकों को उसके माध्यम से उपस्थित देने के लिए बाध्य कर दिया गया और उसके बाद शिक्षक कस्टमर केयर और फर्जीवाड़े के कॉल से इतना अधिक परेशान हुए कि मामला न्यायालय पहुंच गया। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन को नोटिस थमा दिया तब शासन की तरफ से कोर्ट में यह जानकारी दी गई की उनके तरफ से न सिर्फ उस ऐप को बंद कर दिया गया है बल्कि ऐसा करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी को भी मुंगेली जिले से हटा दिया गया है इसके बाद जाकर कोर्ट ने याचिका को निराकृत किया। दरअसल जिला शिक्षा अधिकारी ने मनमानी करते हुए अपने स्तर पर ही थर्ड पार्टी एप तैयार करवा दिया था और फिर दबावपूर्वक उसे शिक्षकों के लिए लागू कर दिया और शिक्षकों ने जैसे ही एप पर अपनी डाटा एंट्री की वैसे ही उनकी परेशानी बढ़ गई। खास तौर पर, महिला शिक्षिकाएं उससे काफी प्रभावित हुई । एप डाउन लोड करने के बाद शिक्षकों के मोबाइल पर रायपुर और भिलाई के कार शो रूम, ज्वेलरी शाप, मेडिकल स्टोर्स सहित अन्य कंपनियों व शो रूम से लगातार फोन आना शुरू हो गया था। इस बात की जानकारी डीईओ को देने के बाद भी एप को बंद नहीं कराया गया

शिक्षक नेता ने किया विरोध तो उन्हें ही जारी कर दिया गया था कारण बताओं नोटिस

छग प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ मुंगेली के जिलाध्यक्ष मोहन लहरी ने जब समन्वय बैठक में एप की शिकायतों को लेकर मुद्दा उठाया तो पथरिया के तत्कालीन बीईओ उमेद लाल जायसवाल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया था। ऐसा कर विरोध को दबाने की कोशिश शिक्षाधिकारियों द्वारा की जा रही थी।इसके बाद मोहन लहरी ने इसे अधिकारों का हनन बताते हुए एप को बंद करने की मांग की थी। छ्ग प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता रत्नेश कुमार अग्रवाल के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें बताया था कि मुंगेली के तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी ने शिक्षकों की हाजिरी के नाम पर मोबाइल को जीपीएस से कनेक्ट करा दिया था। इससे शिक्षक जहां भी जाते थे डीईओ के मोबाइल पर सीधे जानकारी मिल जाती थी। शिक्षकों ने इस एप को बंद करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता शिक्षक संघ ने तत्कालीन डीईओ के आदेश को निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया था ।

बिलासपुर संभाग के दो जिलों में फिर से चल रही है ऐसी ही तैयारी

अब जो जानकारी निकाल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक बिलासपुर संभाग के दो जिलों में फिर ऐसी ही तैयारी चल रही है और दोनों ही जिलों में अलग-अलग एप के जरिए ऐसा करने की तैयारी है । स्वाभाविक है कि एक बार फिर शिक्षक इससे परेशान होंगे और मामला फिर न्यायालय पहुंचेगा । हो सकता है कि दोनों जिले के अधिकारियों को इस विषय की जानकारी न हो कि पूर्व में ऐसा मामला न्यायालय पहुंच चुका है और विभाग ने खुद इस बात को माना था कि ऐसे अनसिक्योर्ड ऐप को बंद कर दिया गया है तो तय है कि इस बार भी वही आदेश आधार बन जाएगा और सूत्रों के हवाले से जो जानकारी है उसके मुताबिक शिक्षक संगठन इस मामले को लेकर तैयारी में है कि जैसे ही आदेश जारी होगा वैसे ही वह न्यायालय की ओर कूच करेंगे ।

अधिकारी नहीं करते निरीक्षण… ऐप के भरोसे मॉनिटरिंग की हो रही कवायद।

स्कूल शिक्षा विभाग में एक बड़ा अमला मॉनिटरिंग के लिए रखा गया है जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अफसर, विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अफसर समेत संकुल प्राचार्य और संकुल समन्वयक की पूरी टीम है जिसका मूल कार्य यही है लेकिन अधिकारी कार्यालय से बाहर निकलते ही नहीं और भ्रष्ट व्यवस्था शिक्षा विभाग का मजबूत स्तंभ बन चुका है जिसकी शिकायतें लगातार ऊपर पहुंचते रहती है। अधिकारी भी इस प्रकार की कवायद कर खुद का पीठ थपथपाने की कोशिश करते हैं लेकिन बड़ा और मौजू सवाल यह है की जिनकी जिम्मेदारी ही मॉनिटरिंग है वह अपने कार्यालय से बाहर निकालकर व्यवस्था सुधारने का प्रयास क्यों नहीं करते ।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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