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Gustakhi Maaf: चुनाव प्रचार से देश की संस्कृति को खतरा

-दीपक रंजन दास
आजादी के बाद देश ने लोकतंत्र को अपनाया। आरंभिक दौर के राजनेताओं में अधिकांश संस्कारवान थे। उनके मुंह से अपशब्द नहीं निकलते थे। मतभेद के बावजूद वे परस्पर सम्मान से पेश आते थे। लगभग सभी विचारधारा के लोग साथ मिलकर काम करते थे। पर अब देश की अवाम बदल चुकी है। रील्स और मीम्स के इस दौर में उन्हें मजा ही नहीं आता। उन्हें मजा देने, उनका मनोरंजन करने के लिए नेता किसी भी स्तर तक जा सकते हैं और गिर सकते हैं। वैसे तो देश में सनातन परम्पराओं का बड़ा ढोल पीटा जा रहा है पर यह उन्होंने कहां से सीखा कि अपने दिवंगत नेताओं के बारे में झूठ बोलें, उन्हें अपमानित करें, उनपर आरोप लगाएं। जाहिर है सनातन केवल एक ढोल है जिसे पीट-पीट कर लोगों को भरमाया जा रहा है। सदियों से बच्चे अपनी असफलता का दोष अपने माता-पिता और परवरिश को देते आए हैं। पर इस दोषारोपण को कभी सामाजिक स्वीकार्यता नहीं मिली। ऐसा कहने वालों को समाज हमेशा चुप कराता आया है। पर अब राजनीति में वह बात नहीं रही। कांग्रेस का एक विधायक कहता है कि दाढ़ी वाला झूठ बोलता है। अपने प्रधानमंत्री के बारे में ऐसा कहना अशोभनीय है। पर भाजपा भी कहां कोई अच्छा उदाहरण पेश कर रही है। भाजपा ने विधायक को अनपढ़ गंवार बता दिया। यह देश 90 फीसदी गंवारों का ही तो है। बाकी के 10 प्रतिशत को कभी अच्छी नजरों से नहीं देखा गया। आम आदमी की धारणा है कि जिसके पास क्षमता होती है वह चोर होता है। इसमें पुलिस, प्रशासन, नेता, उद्योगपति सभी शामिल हैं। दरअसल, राजनीति जब मुद्दाविहीन हो जाती है तो नेता मदारी बन जाते हैं। मदारी कहता कुछ है, करता कुछ और ही है। भीड़ जुटाने के लिए पहले वह अपने झोले से सांप की झांपी निकालता है। एक नेवले को संकरी सी सांकल से बांध कर छोड़ देता है। फिर झोले से बाहर आती हैं कुछ जांघ की लंबी हड्डियां की। अंत में बाहर आती है एक खोपड़ी। ऐसी खोपडिय़ों के चित्र लोगों ने बिजली के ट्रांसफार्मरों पर लगा देखा होगा। फिर वह डुगडुगी बजाते हुए कहना शुरू करता है। उसकी बातें इतनी मजेदार होती हैं कि पहले बच्चे और फिर बड़े-बूढ़े भी खिंचे चले आते हैं। वह कहता जाता है कि सांप नेवले की लड़ाई देखो। मसान का खेला देखो और लोग दम साधे इंतजार करते रहते हैं। फिर वह निकालता है कुछ बोतलें जिसमें काली-पीली-नीली दवा भरी होती है। कुछ राख की पुडिय़ा भी निकाल लाता है जिसे वह भस्म कहता है। उसके पास हर बीमारी का इलाज है। बच्चा रात को नींद में डरता है, पीठ-कमर, एड़ी-घुटने में दर्द, सबके लिए उसके पास दवा है। कीमत सिर्फ पांच या दस रुपए। न तो सांप नेवले की लड़ाई होती है और न ही मसान नाचता है। वह लोगों को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा कर जाता है।

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