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30 साल बाद क्यों है बाजार में बर्बादी का मंजर, सरकार की किस गलती से आई इतनी बड़ी गिरावट?

भारत में शेयर बाजार 29 साल बाद ऐसी स्थिति में पहुंच गया है, जिसके बारे में निवेशकों ने शायद कभी सोचा भी नहीं था. कुछ निवेशकों की तो अभी इतनी उम्र भी नहीं है. 40-50 साल के निवेशक भी उस समय लगभग 10-20 साल के रहे होंगे. इस हिसाब से अधिकतर युवा निवेशकों ने तो वह दौर न देखा होगा न सुना होगा. 29 बरस के बाद ऐसा हो रहा है कि भारतीय शेयर बाजार में लगातार 5 महीनों तक बिकवाली हुई हो और शेयर बाजार ने लगातार नेगेटिव रिटर्न दिए हों. इससे पहले 1996 में ऐसा देखने को मिला था. इस बीच 2008 की वैश्विक मंदी आई, कोरोना काल आया, मगर इस तरह की गिरावट नहीं देखी. इस गिरावट के कई कारण हैं, मगर एक मुख्य कारण भारत सरकार का वह फैसला भी बताया जाता है, जिससे विदेशी निवेशक खफा नजर आए हैं.अलग-अलग विशेषज्ञों ने इस बात का जिक्र भी किया है. लेकिन इस बार अपनी सीधी-सपाट बातों के लिए प्रख्यात शख्सियत हेलियोस कैपिटल (Helios Capital) के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) समीर अरोड़ा ने सरकार के उसी फैसले पर उंगली उठाई है. उन्होंने कहा है कि सरकार की गलती की वजह से विदेशी निवेशक लगातार पांच महीनों से माल बेचकर भाग रहे हैं. अरोड़ा ने यह बात एक मीडिया हाउस के प्रोग्राम में कही.सरकार ने की ‘सबसे बड़ी गलती’
समीर अरोड़ा ने भारत सरकार के कैपिटल गेन टैक्स को “सबसे बड़ी गलती” बताया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यह नीति निवेशकों के मनोबल को कमजोर कर रही है और भारतीय शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर शेयरों की बिकवाली का कारण बन रही है. अरोड़ा ने कहा, “सरकार ने जो सबसे बड़ी गलती की है, वह है कैपिटल गेन टैक्स, खासकर विदेशी निवेशकों पर. यह 100% गलत है.” उन्होंने बताया कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार पांच महीनों से भारतीय शेयर बेच रहे हैं. पिछले दो महीनों में उनकी बिकवाली 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है.अरोड़ा ने कहा, “दुनिया और भारत के सबसे बड़े निवेशक विदेशी सॉवरेन फंड्स, पेंशन फंड्स, यूनिवर्सिटीज और हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) हैं. उनके लाभ पर टैक्स लगाना, खासकर जब उन्हें अपने देश में टैक्स छूट नहीं मिलती और उन्हें विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) से जुड़े जोखिमों का सामना करना पड़ता है, सरकार की बड़ी गलती है.”

बजट में क्या बदलाव किया था सरकार ने
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के केंद्रीय बजट में लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ (LTCG) कर को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है. साथ ही, कुछ वित्तीय प्रतिभूतियों (फाइनेंशियल सिक्योरिटीज) पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (STCG) को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया है. सीतारमण ने 23 जुलाई 2024 को संसद में कहा, “सूचीबद्ध वित्तीय संपत्तियों को एक साल से अधिक समय तक रखने पर उन्हें लंबी अवधि की संपत्ति माना जाएगा, जबकि असंचित वित्तीय संपत्तियों को दो साल से अधिक समय तक रखने पर लंबी अवधि की संपत्ति माना जाएगा.” इन टैक्स वृद्धि का असर शेयर बाजार पर साफ देखा जा सकता है.

अरोड़ा ने बताया कि भारत ने FY23 में लगभग 10-11 अरब डॉलर का कैपिटल गेन टैक्स एकत्र किया था. हालांकि, उन्होंने तर्क दिया कि विदेशी निवेश को हतोत्साहित करने का लॉन्ग टर्म नुकसान राजस्व लाभ से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा, “भारत को बाजार और विदेशी निवेशकों का सम्मान करने के लिए कैपिटल गेन टैक्स को माफ कर देना चाहिए.”

कैपिटल गेन्स टैक्स क्या है?
कैपिटल गेन टैक्स वह है जो शेयर, प्रॉपर्टी या सोने जैसी चीजें बेचने के मुनाफे पर लगता है. यह दो तरह का होता है- शॉर्ट-टर्म (STCG) और लॉन्ग-टर्म (LTCG). बजट 2024 (23 जुलाई 2024 से लागू) के नियमों के मुताबिक-शॉर्ट-टर्म (जल्दी बेचने पर) और लॉन्ग-टर्म (लंबे समय बाद बेचने पर). नए नियम बजट 2024 से लागू हैं, जो 23 जुलाई 2024 से शुरू हुए. शॉर्ट-टर्म में, अगर आप शेयर या म्यूचुअल फंड 12 महीने से कम रखकर बेचते हैं, तो 20% टैक्स देना होगा (पहले 15% था). प्रॉपर्टी 24 महीने से कम रखी या डेट फंड बेचे, तो आपकी कमाई के हिसाब से टैक्स लगेगा, जैसे ज्यादा कमाई वालों को 30% तक.लॉन्ग-टर्म में, शेयर 12 महीने से ज्यादा रखने पर 1.25 लाख से ऊपर के मुनाफे पर 12.5% टैक्स है (पहले 10% था). प्रॉपर्टी 24 महीने से ज्यादा रखी तो 12.5% टैक्स, पुरानी प्रॉपर्टी (23 जुलाई 2024 से पहले की) के लिए 20% का ऑप्शन भी है. सोना या डेट फंड पर 12.5%, और क्रिप्टो पर 30% टैक्स है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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