पति-पत्नी के लिए अलग रहना काफी मुश्किल होता है. ये एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें दोनों एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं. एक-दूसरे का सुख-दुःख बांटते हैं. अगर कोई अनहोनी हो जाए तो अलग बात है. लेकिन अगर किसी महिला को पति के जीतेजी ही विधवा का जीवन जीना पड़े तो इससे ज्यादा बुरा क्या होगा? ऐसी ही बदनसीब निकली छिंदवाड़ा की रहने वाली एक महिला.
छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव की रहने वाली एक महिला पिछले पैंतीस सालों से विधवा का जीवन जी रही थी. उसका पति सालों पहले बाहर कमाने गया था. लेकिन फिर लौट कर नहीं आया. शख्स की काफी तलाश की गई लेकिन वो मिला नहीं. ऐसे में उसकी पत्नी ने अपना सिंदूर मिटा दिया और विधवा की जिंदगी जीने लगा. लेकिन अब सालों बाद उसका सुहाग लौटकर आ गया है. महिला की ख़ुशी का ठिकाना नहीं हैमानसिक रोगी था पति
65 साल का झाम सिंह पैंतीस साल पहले बेंगलुरु गया था. लेकिन कमाने के लिए बाहर गया पति कभी लौटकर नहीं आया. लोगों ने झाम सिंह की काफी तलाशी की. जब झाम सिंह का कोई पता नहीं चल पाया तब उसकी पत्नी ने खुद को विधवा बना लिया. झाम सिंह मानसिक रोगी था. ऐसे में वो वहां जाकर सब कुछ भूल गया और इतने सालों तक एक अस्पताल में भर्ती रहा.अब हुआ मिलन
झाम सिंह को बेंगलुरु के एक मानसिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. सालों तक चले इलाज के बाद झाम सिंह बस इतना बता पाया कि उसका गांव जुन्नारदेव में है. इसके बाद संस्था ने गांव से सम्पर्क किया और झाम सिंह की पत्नी को जानकारी दी कि उसका पति जिंदा है. अपने पति को इतने साल बाद अपने सामने जिंदा देख पत्नी काफी खुश है. अब जाकर उसने अपनी मांग में सिंदूर भरा है.